इंदिरा गांधी को पहले ही हो गया था मौत का आभास, आखिरी भाषण में कही थी ऐसी बात
इंदिरा गाधी वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 पारी के लिए भारत गणराज्य की प्रधानमंत्री रही और उसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर 1984 में उनकी राजनैतिक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रही।
अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था ऐसा मजाक कि छूट गए थे नरेंद्र मोदी के पसीने
वे जो भी फैसले लेती थी उन्हें पूरी हिम्मत के साथ लेती थी और उन्हें लागू करवाने की ताकत भी रखती थी। वह ऐसी दमदार नेता थी कि जब बोलती थी तो पूरा भारत उनका भाषण सुनता था।
जब इंदिरा गांधी का विरोध करने के लिए बैलगाड़ी में संसद पहुंचे थे अटल बिहारी वाजपेयी, पढ़ें किस्सा
31 अक्टूबर 1984 को उन्हीं के दो अंगरक्षकों ने उनकी गोली मार कर हत्या कर दी थी। उन दोनों ने एक या दो नहीं बल्कि 25 गोलियां इंदिरा गांधी को मारी। इस से पहले उन्होंने भुवनेश्वर में एक भाषण दिया था और उसमे कहा था कि अपने भाषण में उन्होंने कहा था कि मैं आज यहां हूं कल शायद यहां न रहूं।
मुझे इस बात की कोई फ़िक्र नहीं है कि मेरा जीवन लंबा रहे ना रहे लेकिन मुझे इस बात की ख़ुशी है कि मैंने अपना जीवन देश की सेवा में बिताया है। मैं अपनी आखिरी सांस तक ऐसा करती रहूंगी। मेरे शरीर के खून का एक एक कतरा देश को समर्पित है। इंदिरा गांधी का ये भाषण सुन कर सभी हैरान में रह गए थे कि वे ऐसा क्यों कह रही है।
इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्हें अपनी मौत का अहसास कहीं ना कहीं पहले ही हो गया था।