इंटरनेट डेस्क। भारत और पाकिस्तान के बीच होना वाला 1971 का युद्ध सेना के इतिहास में हमेशा याद किया जाता रहेगा। बात 3 दिसम्बर, 1971 के शाम की है, जब पाकिस्तानी एयरफोर्स ने श्रीनगर वायुसैनिक अड्डे पर हमला तेज कर दिया था। इंडियन एयरफोर्स ने 4 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान को जवाबी कार्रवाई देने के लिए कराची पर हमला करने का निर्णय लिया।

इस हमले में भारतीय सेना ने यह तय किया कि पाकिस्तानी सेना को ज्यादा से ज्यादा क्षति पहुंचाने के लिए इंडियन नेवी भी कराची बंदरगाह पर अपना हमला तेज करेगी। इसके लिए इंडियन नेवी ने पाकिस्तान को चकमा देने के लिए ऐसी योजना बनाई की पूरा कराची बंदगाह ही तबाह हो गया था।

उन दिनों कराची पाकिस्तान का सबसे मुख्य कारोबारी बंदरगाह था, ऐसे में इस बंदरगाह को तबाह कर पाकिस्तान के वित्तीय स्तर पर कमजोर करने की योजना बनाई गई थी। बता दें कि 1971 के युद्ध में कराची में मौजूद युद्धपोतों पर 6 एमएम की तोपें लगी थी, जबकि इंडियन नेवी के युद्धपोतों के केवल 4 एमएम की ही तोपें लगी थीं। ऐसे में इंडियन नेवी के युद्धपोत पाकिस्तानी युद्धपोतों को नष्ट करने में सक्षम नहीं थे। इसके लिए इंडियन नेवी ने युद्धपोतों में रूसी मिसाइलों का इस्तेमाल किया था।

लेकिन सुपार्को रक्षा संधि के तहत अमेरिका ने पाकिस्तान को बेहद उन्नत किस्म के रडार दिए थे। ऐसे में युद्धपोतों की भनक मिलते ही वे भारतीय नौसेना के हमले को बेकार साबित कर सकते थे। इसलिए पाकिस्तानी सेना को मूर्ख बनाने के लिए भारतीय नौसैनिकों ने रूसी भाषा में रेडियो संदेश दिए। अब पाकिस्तान के गुप्तचर विभाग को लगा कि अरब सागर के दक्षिण में मौजूद रूसी नौसेना भी पाकिस्तान के विरूद्ध कार्रवाई करने की तैयारी में लगी है।

इसी बीच पाक नौसेना का ध्यान हटते ही इंडियन एयरफोर्स ने पाक के मसरूर वायुसैनिक अड्डे पर अटैक कर दिया, साथ में इंडियन नेवी ने मिसाइल हमला कर पाकिस्तानी नौसैनिक अडडे को बर्बाद कर दिया।

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