इंटरनेट डेस्क। इंडियन मिलिट्री चीफ बिपिन रावत आए दिन चीन—पाक के साथ दो—दो हाथ करने की बात करे हैं। लेकिन सेना की तैयारियों को लेकर संसद की रक्षा समिति ने जो रिपोर्ट पेश की है, वो काफी चिंताजनक है। जी हां, एक तरफ हमारे पड़ोसी देश सेना के आधुनिकीकरण पर तेजी से काम कर रहे हैं, वहीं भारतीय सेना अभी अपने पुराने हथियारों के भरोसे युद्ध की बात कर रही है।

संसद में पेश किए गए रिपोर्ट के अनुसार, सेना के पास महज 24 फीसदी हथियार ही आधुनिक हैं, जिनमें केवल 8 फीसदी हथियार बेहतरीन श्रेणी के हैं। जबकि 68 फीसदी हथियार बिल्कुल ही पुराने हैं। यह बात बिल्कुल सही है कि इंडियन आर्मी के जवान अपने साहस और शूरवीरता के लिए दुनिया में विख्यात हैंं, लेकिन सोचने वाली बात है कि पुराने हथियारों के दम पर इंडियन आर्मी के रणबांकुरे किस हद तक दुश्मनों का मुकाबला कर पाएंगे।

संसद पेश रिपोर्ट के अनुसार, रक्षा समिति ने सेना के आधुनिकीकरण को लेकर पैसे की कमी का हवाला दिया है। साल 2018-19 के बजट में सरकार ने सेना के आधुनिकीकरण के लिए केवल 21,338 करोड़ रुपये ही आवंटित किए हैं, जो कि नाकाफी है।

जबकि ठीक इसके विपरीत चीन की सैन्य क्षमता अमेरिकी सेना के बराबर होने जा रही है।धनाभाव के चलते सेना पुराने हथियारों से काम चलाने पर मजबूर है। कैग की रिपोर्ट के अनुसार, चीन तथा पाकिस्तान से युद्ध छिड़ने की स्थिति में सेना के पास 10 दिन तक लड़ने के लिए गोला—बारूद हैं।

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