24 हजार फुट की ऊंचाई पर मौजूद सियाचिन ग्लेशियर की की पोस्ट को इंडियन आर्मी के जवान कभी भी खाली नहीं छोड़ते हैं। जी हां, शून्य से कम डिग्री तापमान वाले इस आर्मी पोस्ट पर भारतीय सेना के लगभग 3 हजार जवान दिन रात पहरा देने में मुस्तैद रहते हैं। दुनिया के सबसे ठंडे युद्ध मैदान पर 24 घंटे पहरा देते रहने का यह सिलसिला साल 1984 से लेकर आज तक बरकरार है।

इस आर्मी पोस्ट सियाचिन के लिए भारत सरकार इंडियन आर्मी के जवानों पर प्रतिदिन 10 करोड़ रूपए खर्च करती है। मतलब साफ है, सियाचिन चौकी पर तैनात सेना के जवानों के लिए सरकार हर महीने 3 अरब रूपए खर्च करती है।

अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इस चौकी में ऐसी कौन सी खास बात है, जिसके लिए सेना के जवान दुनिया के इस सबसे ठंडे पोस्ट सियाचिन में हर पल तैनात रहते हैं। जी हां, आपका सोचना बिल्कुल सौ फीसदी सही है।

दरअसल सियाचिन की सीमा पाकिस्तान और चीन से मिलती है। इतना ही नहीं पाकिस्तान की ओर से इसकी ऊंचाई बहुत कम है। इसलिए भारतीय सेना इस पोस्ट को एक मिनट के लिए खाली नहीं कर सकता है।

लेकिन ठीक इसके विपरीत सियाचिन चौकी से इंडियन आर्मी चीन के कराकोरम हाइवे स्पष्ट देख सकती है। रणनीतिक हिसाब से इंडियन आर्मी इस पोस्ट के जरिए इन दोनों पड़ोसी देशों पर एक साथ अपनी नजर बनाए रखती है।

कारगिल से सबक लेते हुए भारतीय सेना अब सियाचिन चोटियों से पलभर के लिए भी नहीं हटती है। जबकि पाकिस्तान चाहता है कि इंडियन आर्मी सियाचिन पोस्ट को खाली कर दे।

बता दें कि साल 1984 से पहले सियाचिन पर पाक और भारत की सेनाएं नहीं रहती थी, लेकिन साल 1972 में चीन के इशारे पर पाकिस्तान ने सामरिक दृष्टिकोण से सियाचिन पर कब्जा करने की कोशिश करने लगा। लेकिन भारत सरकार को जैसे ही इस बात की भनक लगी, तब 1984 में भारतीय सेना ने सियाचिन चोटी को अपने अधिकार में ले लिया, जो आज तक बरकरार है।

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