आज की तारीख में दुनिया के विकसित देशों अमेरिका, चीन, रूस, ​फ्रांस, जापान और ब्रिटेन आदि की स्थिति रक्षा मामले में बहुत मजबूत है। लेकिन भारत भी अपनी सुरक्षा के लिए नए आयाम तलाशने में लगा हुआ है। जी हां, दोस्तों भारत ने एक नई रक्षा तकनीकी इजाद की है, जिसका नाम है ई-बम। डीआरडीओ इस तकनीक पर लंबे अर्से से काम कर रहा है। इस तकनीक के सहारे भारत युद्ध से पहले ही दुश्मन की सेना को बेकार साबित कर देगा। दोस्तों आपको बता दें कि इस तकनीक पर काम करने वाला एशिया का पहला देश है भारत। युद्ध के इस पूरे खाके को वैज्ञानिकों ने इलैक्‍ट्रानिक वारफेयर का नाम दिया है। युद्ध के दौरान संचालन में काम आने वाले इलैक्‍ट्रानिक डिवाइसों का इस्तेमाल किया जाएगा।

अमेरिका ने इस हाईटैक वैपन प्रोजेक्‍ट का नाम चैंप रखा है। बता दें कि भारत भी इसी तकनीक पर काम कर रहा है। इस इलैक्‍ट्रानिक डिवाइस का टारगेट कुछ मशीनें होंगी। हाईटेक डिफेंस सिस्‍टम का नाम इलैक्‍ट्रोमैगनेटिक पल्‍स वैपन सिस्‍टम है। यह तकनीक भविष्य में युद्ध की पूरी तस्वीर बदल कर रख देगी।

इस तकनीक जरिए एक ड्रोन टाइप वैपन इमारतों के ऊपर से गुजरता हुआ एक मैगनेटिक फील्‍ड बनाता है, जिससे कि इमारत में रखे हुए सभी कंप्यूटर काम करना बंद कर देते हैं। ऐसे में सेना और सरकार की मदद के महत्वपूर्ण साबित होने वाली तमाम जीजें पंगु हो जाती हैं। ईएमपी वैपन सिस्‍टम के जरिए सेना के काम आने वाले कंप्‍यूटर बिल्कुल ही नाकाम हो जाएंगे। मतलब साफ है कि कंप्‍यूटर के नाकाम हो जाने के बाद सैटेलाइट से इनका कनेक्‍शन खत्‍म हो जाता है।

इसका मतलब सैटेलाइट से कनेक्‍शन टूट जाने की वजह से सीमा पर चौकसी कर रही सेना का संपर्क भी एक दूसरे से टूट जाएगा। इस प्रकार सुरक्षाबलों तक ना ही कोई आपात संदेश पहुंचाया जा सकेगा और ना ही संदेश प्राप्त ही किया जा सकेगा। यह किसी भी देश के लिए बहुत घातक साबित होगा। इस प्रकार ऐसे समय में हमला करने पर वह देश अपनी सुरक्षा करने में पूरी तरह से विफल साबित होगा।

Related News