सिक्किम एयरपोर्ट से भारत को रक्षा क्षेत्र में भी मिली है जबरदस्त मजबूती, जानिए कैसे?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज की तारीख में सिक्किम को एक बड़ा तोहफा भेंट किया है। राज्यपाल गंगा प्रसाद और मुख्यमंत्री पवन चामलिंग, केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु की उपस्थिति में पीएम मोदी ने आज इस राज्य के पहले हवाई अड्डे का उद्घाटन किया।
दोस्तों, आपको बता दें कि सिक्किम देश का एक ऐसा इकलौता राज्य था, जहां अभी तक अपना एक भी एयरपोर्ट नहीं था। सिक्कम जाने के लिए पहले ट्रेन से न्यू जलपाईगुड़ी, इसके बाद प्राइवेट टैक्सी से जलपाईगुड़ी से गंगटोक जाना पड़ता था। बता दें कि सिक्किम की राजधानी गंगटोक न्यू जलपाईगुड़ी से 120 किमी की दूरी पर स्थित है।
पीएम मोदी के उद्घाटन के साथ ही सिक्किम को उसका ब्रैंड न्यू एयरपोर्ट मिल गया है। इस एयरपोर्ट को बनाने में कुल 605 करोड़ रुपये की लागत आई है। एयरपोर्ट बनाने का काम 2008-09 में शुरू हुआ था। तकरीबन 9 साल बाद 201 एकड़ के इलाके में फैले 1.75 किलोमीटर लंबा रन-वे वाले एयरपोर्ट का उद्घाटन पीएम मोदी ने आज किया है। यह देश का 100वां ऑपरेशनल एयरपोर्ट होगा। सबसे बड़ी बात कि भारत-चीन सीमा से इस महत्वपूर्ण एयरपोर्ट की दूरी लगभग 60 किलोमीटर है। इस एयरपोर्ट से कोलकाता, दिल्ली और गुवाहाटी के लिए रोजाना फ्लाइट उपलब्ध होगी।
इस एयरपोर्ट की अहमियत
दोस्तों, आपको बता दें कि सिक्किम का इलाका यूं ही चिकन्स नेक नहीं माना जाता है। 200 किलोमीटर लंबा और 60 किलोमीटर चौड़ा यह इलाका बंगाल के तराई वाले इलाकों से शुरू होकर नॉर्थ-ईस्ट को जाता है। आपातकालीन परिस्थिति में उत्तर पूर्वी क्षेत्रों को सुरक्षित बनाने में भी यह एयरपोर्ट रामबाण साबित होगा।
जानकारी के लिए यह बात बता दें कि पड़ोसी देशों से टकराव की स्थिति में सैनिकों के साथ-साथ टैंक और युद्ध से जुड़ी बाकी चीजें यहां तक लाना अब बेहद ही आसान होगा। भारतीय सेना को पहले इस इलाके तक पहुंचने के लिए रेंग-रेंगकर आना पड़ता था। यही वजह है कि भारतीय सैनिकों की यहां अच्छी-खासी तैनाती रहती है। सिक्किम में सीमा सुरक्षा बल तथा असम रायफल्स के अलावा भारतीय सेना की मौजूदगी रहती है। ताकि जंग की स्थिति में भारत से इस इलाके की कनेक्टिविटी बनी रहे। हांलाकि ऐसा नहीं है कि इस एकमात्र एयरपोर्ट के सहारे सिक्किम में सेना काफी मजबूत हो गई है। इस इलाके में अभी गंभीरता से काम करने की जरूरत है ताकि युद्ध होने पर भारतीय सेना दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दे सके।