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भारत का पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान इन दिनों कर्ज के बोझ से गुजर रहा है। अब पाकिस्तान की छवि दूसरों पर निर्भर रहने वाले मुल्क के रूप बनती जा रही है। वहीं दूसरी तरफ हाल ही में पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले इमरान खान कर्ज से काफी परेशान है। प्रधानमंत्री इमरान खान ने शनिवार (20 अक्टूबर) को कहा कि अगर हमारी सरकार को अगले दो माह में कर्ज नहीं मिला तो देश भयंकर रूप से दिवालिया हो जाएगा। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने विदेशी कर्ज 36 खरब रुपये पहुंचा दिया था।

इमरान खान सरकार देश का राजकीय कोष बढ़ाने के लिए लग्जरी कारों, लग्जरी आइटम्स आदि के आयात पर पाबंदी लगाने पर विचार कर रही है। हाल ही में राष्ट्रीय ऋण के मुद्दे पर इमरान ने कहा, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास जाने पर वास्तविक मुद्दा ऋण को लेकर कुछ नियमों का है। हम कुछ अन्य स्रोतों के माध्यम से भी स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयाश कर रहे है। उन्होंने कहा, 'हमें सऊदी अरब और चीन से अच्छे संदेश मिल रहे हैं। वित्तीय सहायता के लिए दोनों देशों से पहले ही संपर्क किया जा चुका है।'

वहीं आपको बता दें, पाकिस्तान के चालू खाते का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में पाकिस्तान के गिरते एक्सपोर्ट और बढ़ते इंपोर्ट की वजह से वहां डॉलर की कमी हो गई और इससे लोकल करंसी पर दबाव बन रहा था। इस वजह से इमरान खान के शपथ लेने से पहले ही अर्थशास्त्री अनुमान लगा रहे थे कि वह प्रधानमंत्री बनते ही IMF से बेलआउट पैकेज की मांग करेंगे। आपको जानकारी में बता दें, पाकिस्तान इससे पहले 14 बार (1980 से अब तक) बेलआउट पैकेज ले चुका है।

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