पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना यदि जिंदा होते तो इस मुल्क की तस्वीर शायद दूसरी होती। लेकिन समय से ही पहले ही उनकी मौत हो गई। यह बात उन दिनों की है जब मौरीपुर एयरपोर्ट पर विशेष विमान से जिन्ना को लाया गया था।

उनकी तबियत बहुत खराब थी, यहां तक कि वह खुद चल भी नहीं पा रहे थे। एयरपोर्ट पर सन्नाटा पसरा हुआ था। स्‍ट्रैचर पर लिटाकर जिन्ना को विमान से बाहर निकाला गया। इसके बाद मिलिट्री एंबुलेंस में लिटाकर कराची ले जाने की तैयारी हुई।

एंबुलेंस को धीमी रफ्तार से चलाया जा रहा था ताकि जिन्ना के हिचकोलों से कोई दिक्कत ना हो। लेकिन कराची पहुंचने से करीब आधा घंटा पहले ही वह एंबुलेंस बीच रास्ते में ही रूक गई, पता चला कि उस एंबुलेस का पेट्रोल खत्म हो चुका था।

भयंकर गर्मी के बीच एंबुलेंस रूक गई थी, जिन्ना की तबियत बिगड़ती जा रही थी। जिन्ना की एंबुलेंस जिस जगह खड़ी थी वहां शरणार्थियों के सैंकड़ों तंबू लगे थे। लंबे इंतजार के बाद एंबुलेंस को गर्वनर जनरल के बंगले पर पहुंचाया गया था।

डॉक्‍टरों ने कहा कि पहले विमान की यात्रा और फिर एंबुलेंस की गर्मी को जिन्ना झेल नहीं पाए। अब उनके ठीक होने की उम्मीद बहुत कम है। करीब 2 घंटे तक जिन्ना सोते रहे, जब उन्होंने आंखे खोली तो बहन को अपने करीब बुलाया और ​फातिहा पढ़ते हुए अपनी आखिरी सांसे ली।

गौरतलब है कि जिन्ना बहुत ज्यादा सिगरेट पीते थे, ऐसे में उनके फेफड़े सूख चुके थे। पाकिस्तान को लेकर वह कई जिम्‍मेदारियां अधूरी छोड़ गए। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि वह इस देश को गलत हाथों में छोड़ गए।

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