रामदेव बाबा ने आज यहां एक समारोह में कहा, "भारत की आजादी के बाद से हम एक लंबा सफर तय कर चुके हैं, लेकिन इस यात्रा को जारी रखने के लिए हमें कुछ बदलने और कुछ स्वीकार करने की जरूरत है।"

उन्होंने कहा, "हम भारत को जाति, क्षेत्र, भाषा और धर्म के भेदभाव से मुक्त देखना चाहते हैं।"

उन्होंने कहाजब कोई राष्ट्र प्रगति करता है, तो यह कृषि, उद्योग, स्वास्थ्य, अनुसंधान और सामाजिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में किसी विशेष तत्व की भागीदारी नहीं है, बल्कि सभी तत्वों का समावेश है। इसलिए यह समग्र विकास में मदद करता है

हमारे सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक जीवन में जो बुनियादी सिद्धांत हैं, वे देश में धर्मनिरपेक्षता, समानता, सहिष्णुता, सद्भावना और एकता पर आधारित हैं और हमें इसे आगे ले जाना चाहिए। एक देश के तौर पर हम भविष्य में बहुत कुछ करना चाहते हैं।

रामदेव ने कहा कि वास्तव में इस विकास यात्रा में कोई अंतराल नहीं है। आगे बोलते हुए कहा कि मैं अभी भी ब्रिटिश राजशाही से नाराज हूं, मैं बचपन से ही कुछ चीजों को लेकर बहुत जिद करता था।

अंग्रेजों ने हमारे देश को खूब लूटा। इसलिए मैं अब भी उनसे नाराज हूं। इतिहास हमें बताता है कि अंग्रेजों ने हम पर हमला किया। लेकिन हम राजनीतिक गुलामी से मुक्त हैं।

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