कनेक्शन स्थापित होने के बाद कैसे काम करेगा विक्रम लैंडर, जानिए सरल भाषा में
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से संपर्क बहाल करने की कोशिश जारी रखे हुए है। लैंडर से फिर से सम्पर्क स्थापित करना इतना आसान नहीं होगा लेकिन वैज्ञानिक काफी इस स्थिति को संभालने में काफी सक्षम हैं।
अंतरिक्ष एजेंसी 14 दिनों तक लैंडर से संपर्क साधने की फिर से कोशिश करेगी। ये बात हम जानते हैं कि विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हुई है। ऐसे में उसके पार्ट भी डैमेज हुए होंगे। तो फिर से संपर्क साधना जरा मुश्किल है।
आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि यदि फिर से सम्पर्क स्थापित हो जाता है तो विक्रम लैंडर कैसे काम करेगा। इसके लिए आपको कम्यूनीकेशन के बारे में समझना जरूरी है।
वैज्ञानिकों के अनुसार ऑर्बिटर और लैंडर के बीच हमेशा दो-तरफ़ा संचार होता है। ऑर्बिटर अभी भी चाँद के चक्कर काट रहा है और अपना काम कर रहा है। ऑर्बिटर चाँद की फोटोज लेने में भी सक्षम है और अगले 7 सालों तक हमारा ऑर्बिटर काम करता रहेगा।
लेकिन लैंडर के डैमेज हो जाने से अब वैज्ञानिकों को एक तरफ़ा संवाद करने का प्रयास करना होगा जो कि थोड़ा मुश्किल है। लेकिन यदि लैंडर से वैज्ञानिक फिर से सम्पर्क साध लेते हैं तो भी संचार 5-10 मिनट से अधिक के लिए नहीं होगा। इन 10 से 15 मिनट में वैज्ञानिक लैंडर की मदद से जितनी जानकारी जुटा सकते हैं उनको जुटानी होगी।
लेकिन यदि सम्पर्क नहीं भी होता है तो भी चाँद की सतह और अन्य चीजों के बारे में जानकारी हमें उस ऑर्बिटर के माध्यम से मिलती रहेगी जो चाँद की क्लास के चारों ओर चक्कर लगा रहा है।