भारत के पहले प्रधानमंत्री पंं. जवाहरलाल नेहरू पूरे देश में चाचा नेहरू के नाम से प्रसिद्ध थे। 27 मई 1964 को उनकी मौत के बाद सत्ता में शीर्ष पर बैठे खासमखास लोगों ने यह फैसला लिया कि चाचा नेहरू का जन्मदिन बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा। तभी से यह परंपरा भारत वर्ष में चली आ रही है। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है।

इस स्टोरी में हम आपको पंडित जवाहरलाल नेहरू के राजनीतिक विरोधी डॉ. राममनोहर लोहिया के उस आंकड़े को पेश करने जा रहे हैं, जो कभी पूरे देश में सर्वाधिक पॉपुलर हुआ था।

बता दें कि पंडित जवाहर लाल नेहरू जैसे बड़े कद वाले नेता, जिनके सामने बोलने की हिमाकत जल्दी कोई नहीं जुटा पाता था। लेकिन डॉ. राम मनोहर लोहिया उन लोगों में शामिल थे, जिन्होंने राजनीति में पंडित जवाहर लाल नेहरू को कड़ी चुनौती दी।

लोकसभा चुनाव 1962 में डॉ. राम मनोहर लोहिया ने जहां-जहां पंडित नेहरू के खिलाफ प्रचार किया था, वहां-वहां पंडित नेहरू की हार हुई। इसके ठीक एक साल बाद लोकसभा उपचुनाव में डॉ. राम मनोहर भी निर्वाचित होकर लोकसभा पहुंच गए थे। उन दिनों उन्होंने एक पॉलिटिकल पैम्फलेट लिखा- जिसका शीर्षक था एक दिन के 25 हजार रुपए।

इस पॉलिटिकल पैम्फलेट में राम मनोहर लोहिया ने दावा किया था कि पंडित नेहरू के सभी खर्चे सरकारी कोष से किए जा रहे हैं। लोहिया ने लिखा था कि भारत के 70 फीसदी लोग प्रतिदिन 3 आने से कम पर गुजारा करते हैं, जबकि देश के प्रधानमंत्री पर हर रोज 25 हजार हजार रुपए खर्च होना बेहद शर्मनाक है। योजना आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, उन दिनों भारत की 70 फीसदी जनसंख्या की रोज़ाना की आमदनी 15 आना थी।

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