हिमाचल को फिर से प्रधानमंत्री को दोहराना पड़ेगा कर्नाटका में भी, खेमेबाजी और बगावत को थामने के लिए पीएम मोदी का इंतजार
बागी नेताओं ने पार्टी के साथ मिलकर काम करना शुरू कर दिया है। वहीं, अगले चार पांच महीने में कर्नाटक में भी पार्टी नेता प्रधानमंत्री से ही आस लगाए बैठे हैं। प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता है और अंतिम क्षणों में वोटरों का रुझान बदलने की क्षमता रखते हैं यह कई चुनावों में दिख चुका है। लेकिन हिमाचल में जिस तरह उन्हें बागियों को समझाकर पार्टी की लाइन पर लाना पड़ा वह पार्टी के लिए चिंता का विषय है।
प्रधानमंत्री की रैलियों से बढ़ा जनता का विश्वास
ऐसा माना जा रहा है कि एक तरफ जहां बागी नेताओं को साधा गया है कि वहीं, प्रधानमंत्री की रैलियों के बाद जनता का विश्वास बढ़ा है। अब प्रदेश के पार्टी नेता थोड़े आश्वस्त हो रहे हैऔर बुधवार के चुनावी अभियान के बाद बढ़त की ओर जाने का दावा कर रहे हैं। पर यह हाल केवल हिमाचल का नहीं है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, कर्नाटक में वापसी का दारोमदार भी पीएम पर ही होगा। वहां खेमेबाज और बयानबाज नेताओं की फौज है। प्रदेश सरकार के अंदर ऐसे मंत्री भी हैं, जो अपनी ही सरकार की आलोचना करते हैं।
कर्नाटक में भी मोदी संभाल सकते हैं कमान
बता दें कि बड़ी चिंता की बात यह है कि कोई किसी के बचाव में नहीं उतर रहा है। ऐसे में हिमाचल की तरह ही कर्नाटक में भी प्रधानमंत्री को सीधे जनता से अपील करनी पड़ सकती है। हिमाचल में उन्होंने अपील की है कि उम्मीदवार को न देखें, पार्टी को देखें, कमल के निशान को देखें। जानकारों का मानना है कि चुनावों में मुफ्त रेवड़ी संस्कृति का खुलकर विरोध कर रहे प्रधानमंत्री वस्तुत: पार्टी नेताओं को भी संदेश देना चाहते हैं कि उन्हें पार्टी को कुछ लौटाना भी होगा। अपने स्तर पर प्रदर्शन दिखाना होगा।