नागरिकता संसोधना बिल को लेकर इन दिनों काफी बबाल चल रहा है, लेकिन इसी बीच गौहाटी हाईकोर्ट ने एक बार फिर कहा है कि फोटो वाला वोटर पहचान पत्र किसी व्यक्ति की नागरिकता का अंतिम प्रमाण नहीं हो सकता है। उच्च न्यायालय ने असम समझौते के तहत इसे विदेशी माना है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि नागरिकता साबित करने के लिए भूमि राजस्व रसीद, पैन कार्ड और बैंक दस्तावेजों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) की अंतिम सूची जारी होने के बाद, कम से कम 19 लाख लोग अपनी नागरिकता साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। इन मामलों की समीक्षा के लिए पूरे असम में 100 विदेशी न्यायाधिकरण स्थापित किए गए हैं।

नागरिकता अधिनियम के खंड 6A के अनुसार, असम समझौते के तहत राज्य में नागरिकता के लिए आधार वर्ष 1 जनवरी, 1966 है। जो लोग 1 जनवरी, 1966 और 24 मार्च, 1971 के बीच राज्य में बस गए, उनके लिए अपना मतदान अधिकार खो देंगे। दस साल की अवधि और उस अवधि के पूरा होने पर उन्हें मतदान का अधिकार मिलेगा।

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