प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा ऐलान किया गया कोरोना पैकेज़ में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने पाँच दिन तक कोरोना राहत पैकेज़ बाँटने का अखंड यज्ञ किया। ताकि 130 करोड़ भारतवासियों को ‘आत्म-निर्भर’ बनने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज़ रूपी प्रसाद बाँटा जा सके। सरकार की ऐसी तपस्या से आपको क्या मिला, या क्या मिलता दिख रहा है, इसपर एक बार जरूर सोचे।

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सरकार का काम था घोषणाएँ करना, जिसे उसने पूरी ताक़त लगाकर कर दिया। सरकार जिसे जो कुछ भी देना चाहती थी, वो उसने दे दिया है। आपको क्या चाहिए था, इससे उसे कोई मतलब नहीं था। सरकार ने बहुत ईमानदारी से जनता को बता दिया है कि हमने उम्मीद रखने के बजाय आत्म-निर्भर बनो। रुपया-पैसा नहीं है तो जाओ, बैंकों से कर्ज़ लो, हमने उन सारी घोषणाओं में हेर-फेर करके देश को फिर से सुना दिया है, जो पिछले छह साल के बजट में कही गयी हैं।

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यदि आपको अब ये जानने का कौतूहल है कि 20 लाख करोड़ रुपये के कोरोना पैकेज़ से आपको, ग़रीबों को, किसानों को, मज़दूरों को वास्तव में क्या मिला तो समझ लीजिए कि सरकार आपसे यही पहेली तो बुझा रही है।

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