पॉलिटिकल डेस्क। सोमवार को गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल का गठन हुआ। जिसमें कुल 23 मंत्रियों ने सपथ ली। इनमें 13 को कैबिनेट व 10 को राज्यमंत्री नियुक्त किया गया। गहलोर सरकार के इस मंत्रिमंडल की सबसे अहम बात ये रही कि इसमें आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए राज्य के जातीय व क्षेत्रीय समीकरणों को साधने का भरपूर प्रयास किया गया हैं। गहलोत सरकार ने मंत्रिमंडल में 36 कौमों को साथ लेकर चलने की सोच दिखाई हैं।

बात की जाए जातीय समीकरणों की तो पहले मंत्रिमंडल विस्तार में सर्वाधिक चार-चार मंत्री जाट व अनुसूचित जाति से बनाये गए हैं। वही वैश्य, एसटी व ओबीसी समुदाय से तीन-तीन और राजपूत व ब्राह्मण समुदाय से दो-दो विधायकों को मंत्री नियुक्त किया गया हैं। राज्य विधानसभा चुनावों में सबसे ज्यादा चर्चा में रही पोकरण सीट से बीजेपी के महंत प्रतापपुरी को हराकर विधायक बनने वाले सालेह मोहम्मद को भी राज्य मंत्री बनाया गया हैं।

गहलोत सरकार के पहले मंत्रिमंडल में सिर्फ एक महिला विधायक शामिल हैं जोकि ममता भूपेश हैं। सरकार में पहली बार मंत्री पद पाने वाले विधायकों में कांग्रेस के रघु शर्मा, लाल चंद, विश्वेंद्र सिंह, हरीश चौधरी, रमेश मीणा, प्रताप सिंह खाचरियावास, उदयलाल आंजना, सालेह मोहम्मद, गोविंद डोटासरा, ममता भूपेश, अर्जुन बामनिया, भंवर सिंह, सुखराम विश्नोई, अशोक चांदना, टीकाराम जूली, भजनलाल, राजेन्द्र यादव का नाम शामिल हैं।

भरतपुर से गठबंधन दल रालोद के विधायक सुभाष गर्ग भी मंत्री बनाये गए हैं। वही तीन पूर्व सांसदों को भी मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है, जिसमें पूर्व सांसद हरीश चौधरी, लालचंद कटारिया और रघु शर्मा को कैबिनेट मंत्री नियुक्त किया गया हैं। आपको बता दे लालचंद कटारिया संप्रग सरकार में ग्रामीण राज्यमंत्री रह चुके हैं। राज्य के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने नये मंत्रिमंडल को उम्र, अनुभव, जाति व क्षेत्रीय समीकरणों का संतुलित प्रतीक बताया।

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