पॉलिटिकल डेस्क। राजस्थान को नई सरकार मिले कुछ ही दिन बीते हैं। ऐसे में कांग्रेस की गहलोत सरकार ने अपना मंत्रिमंडल गठन कर लिया। इस मंत्रिमंडल की सबसे अहम बात ये रही कि इसमें 18 ऐसे विधायकों को मंत्री बनाया गया हैं जो पहली बार मंत्री बनेंगे। वही सरकार ने कई दिग्गज नेताओं और पूर्व मंत्रियों को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करके बेहद ही चौंकाने वाला फैसला लिया हैं। जानते हैं इनके बारे में ...

बिजेन्द्र ओला: तीसरी बार विधायक बने पूववर्ती गहलोत सरकार में मंत्री रहे। इन्हे पार्टी झुंझुनू से लोकसभा का टिकट दे सकती है। पिछला चुनाव इनके परिवार से ही लड़ा था।

सीपी जोशी: जोशी पांच बार विधायक और एक बार सांसद रहे हैं। वो प्रदेश में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं तो संगठन में प्रदेशाध्यक्ष पद पर भी रहें हैं। इसी तरह सांसद रहते हुए वो कई विभागों के कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। ऐसे में पार्टी उन्हें भीलवाड़ा से लोकसभा चुनाव लड़वा सकती है। पहले भी ये भीलवाडा से सांसद रह चुके हैं।

महेन्द्रजीत सिंह मालवीय: लगातार तीन बार से विधायक हैं, एक बार सांसद रह चुके हैं। इन्हें बांसवाडा डूंगरपुर से सांसद का चुनाव लड़वाया जा सकता है. वैसे भी बीता चुनाव इनकी पत्नी ने ही लड़ा था।

दीपेन्द्र सिंह शेखावत: पांच बार के विधायक पहले स्पीकर रह चुके हैं। इन्हे फिर से ये जिम्मेदारी दी जा सकती है।

परसराम मोरदिया: वरिष्ठ विधायक गहलोत के पिछले कार्यकाल में हाउसिंग बोर्ड के चेयमैन थे। इस बार एससी आयोग का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। वसुन्धरा राजे ने भी सीनियर विधायक सुन्दर लाल को ये पद दिया था, इसी तरह से गहलोत भी मोरदिया को ये पद दे सकतें है।

भंवर लाल शर्मा: सात बार के विधायक ब्राह्मण समाज के बडे नेता हैं। इन्हे विप्र बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर दिया जा सकता है कैबिनेट का दर्जा।

राजेन्द्र पारीक: इन्हें अगले कैबिनेट तक इंतजार करना होगा।

राजकुमार शर्मा: इन्हें विधानसभा में मुख्य सचेतक पद दिया जा सकता है नहीं तो फिर अगली कैबिनेट विस्तार तक इंतजार करना होगा।

महेश जोशी: अगर राजकूमार शर्मा को मुख्य सचेतक नही बनाया गया तो महेश जोशी को ये पद दिया जा सकता है। पहले भी ये उप मुख्य सचेतक रह चुके हैं। अगर इन्हे ये पद नही मिला तो इन्हे भी अगले कैबिनेट विस्तार तक इंतजार करना होगा।

हेमाराम चौधरी: नेता प्रतिपक्ष और कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं अब इन्हें विधानसभा में उपाध्यक्ष पद दिया जा सकता है।

डॉ जितेन्द्र सिंह: देवनारायण बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर इन्हें कैबिनेट का दर्जा दिया जा सकता है।

शकुंतला रावत: मोदी लहर में जीतने वाली एक मात्र महिला विधायक हैं, इस बार भी विधायक बनी हैं. इन्हें महिला या बाल आयोग जिम्मेदारी दी जा सकती है. अगर शकुंतला रावत इसके लिए तैयार नहीं हुई तो इनका अगली कैबिनेट में आना तय है।

जाहिदा खान: भरतपुर से तीन मंत्री बनाये जाने के चलते ये कैबिनेट का हिस्सा नहीं बन सकी हैं. इन्हें भी दोनो आयोग के लिए पूछा जाएगा, नही तो अगले कैबिनेट विस्तार में मौका दिया जाएगा।

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