कोरोना की उत्पत्ति के मसले पर अमेरिका, ब्रिटेन और भारत ने शुरू की जांच, 88 दिनों में दुनिया के सामने होगी Corona की सच्चाई!
अमेरिका और ब्रिटेन ने फिर आगे बढ़कर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से वैश्विक महामारी कोविड-19 की उत्पत्ति के स्रोत की संभावनाओं को गहराई से देखने को कहा है। वहीं कानूनविदों की संस्था आइसीजे ने डब्ल्यूएचओ से कहा है कि वह कोविड-19 से जुड़ी सभी वैज्ञानिक और चिकित्सकीय सूचनाओं को लेकर श्वेत पत्र जारी करे।
WHO ने 1 जनवरी 2020 को चीन से इस पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा और चीन ने इस पर 3 जनवरी 2020 को अपना जवाब दिया, उस समय चीन ने पहली बार दुनिया को ये बताया था कि वुहान में निमोनिया से मिलती जुलती बीमारी फैल रही है, चीन के मुताबिक, तब तक वुहान में 44 लोग ही इस अज्ञात बीमारी से संक्रमित थे, जिनमें से 11 की हालत बहुत गंभीर थी। ऐसा चीन दावा करता है, तब चीन ने विस्तार से इस पर जानकारी उपलब्ध कराते हुए WHO से कहा था कि इस बात के सबूत नहीं मिले हैं कि ये बीमारी एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलती है। तब सिर्फ WHO ने ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया ने चीन पर विश्वास किया, लेकिन ये विश्वास अगले कुछ दिनों में ही टूट गया, क्योंकि चीन ने उस समय पूरी दुनिया से झूठ बोला था।
लेकिन अब अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के एक आदेश से करना चाहते हैं, इस आदेश के तहत अमेरिका ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर दूसरे चरण की जांच को आगे बढ़ाने के लिए कहा है, जो बाइडन ने खुफिया एंजेंसियों से कहा है कि अपनी कोशिशों को तेज करें और 90 दिनों के अंदर ऐसी जानकारी जुटाएं, जिसके आधार पर किसी ठोस नतीजे के करीब पहुंचा जा सके, यानी अमेरिका ने इस बात की जांच शुरू कर दी है कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति कैसे और कहां हुई, इस जांच को निर्णायक फैसले तक ले जाने के लिए 90 दिनों का लक्ष्य रखा गया है।