लोकसभा चुनाव 2019 के अंतिम चरण में देश की सभी सियासी पार्टियों की नजर पूर्वांचल पर टिकी हुई है। राजनीतिक रूप से समृद्ध पूर्वांचल शुरू से ही देश को सियासी ककहरा पढ़ाता रहा है। जी हां, पूर्वांचल में ही जौनपुर जिला भी शामिल है और जौनपुर जिले का एक छोटा सा गांव माधोपट्टी अपनी उपलब्धियों के लिए पूरे भारतवर्ष में विख्यात है। दरअसल इस गांव को आईएएस-आईपीएस अफसरों का गांव कहा जाता है।
बता दें कि माधोपट्टी गांव में करीब 75 घर हैं, जबकि इस गांव के करीब 47 आईएएस अफसर देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। पीसीएस, बैंक, पुलिस, वैज्ञानिक और अन्य विभागों में उच्च पदों पर नौकरी करने वालों की भरमार है।
इस गांव में साल 1914 में मुस्तफा हुसैन पहली बार पीसीएस में चुने गए थे। इसके बाद 1952 में इंदू प्रकाश सिंह ने आईएएस की परीक्षा में 13वीं रैंक हासिल की। इंदू प्रकाश के बाद इस गांव के युवाओं में आईएएस-पीसीएस बनने की होड़ मच गई।

बता दें कि इंदू प्रकाश सिंह फ्रांस सहित कई देशों में भारत के राजदूत रहे हैं।
माधोपट्टी के सगे 4 भाइयों ने आईएएस बनकर रिकॉर्ड बनाया। विनय सिंह, छत्रपाल सिंह और अजय सिंह एक साथ आईएएस के लिए चुने गए। विनय सिंह आगे चलकर बिहार के प्रमुख सचिव भी बने।
बता दें कि माधोपट्टी गांव जौनपुर जिला मुख्यालय से 11 किलोमीटर दूर है। गांव की आबादी 800 है। इस गांव में अक्सर लाल-नीली बत्ती वाली गाड़ियां खड़ी नजर आती हैं।

इस गांव की महिलाएं भी रहीं आगे....


आशा सिंह 1980 में, ऊषा सिंह 1982 में, कुवंर चंद्रमौल सिंह 1983 में औ उनकी पत्नी इंदू सिंह 1983 में, अमिताभ 1994 में आईपीएस बने। अमिताभ सिंह की पत्नी सरिता सिंह भी आईपीएस में चुनी गईं।
इस गांव की साक्षरता दर 95 फीसदी है। गांव के सजल सिंह का कहना है कि हमारे गांव में एजुकेशन लेवल बहुत अच्छा है। इस गांव के अमित पांडेय की उम्र केवल 22 वर्ष है, लेकिन उनकी कई किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। गांव के अन्मजेय सिंह विश्व बैंक मनीला में कार्यरत हैं।माधोपट्टी गांव के ही डॉक्टर नीरू सिंह और लालेन्द्र प्रताप सिंह बतौर वैज्ञानिक भाभा इंस्टीट्यूट में कार्यरत हैं, वहीं ज्ञानू मिश्रा राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान इसरो में हैं।

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