इंटरनेट डेस्क| भारतीय सेना के हौसलें और ज़ज्बे के बारे में जितना कहा जाए कम है। देश को आजादी दिलाने में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। प्रत्येक सेना में एक मुखिया होता हैं और जिसकी सेना में अहम भूमिका होती हैं। लेकिन कुछ भारतीय नागरिक इन भारतीय सेना प्रमुखो को नहीं जानते हैं जिनके त्याग और समर्पण से भारत को आजादी मिली। इसकी एक छोटी सूची इस प्रकार है।

1. फील्ड मार्शल कोडेंद्ररा मडप्पा कैरीप्पा

समय- 16 जनवरी 1949 से 14 जनवरी 1953

आजादी के बाद दो विदेशी प्रमुखो ने सेना का नेतृत्व किया। अगर हम भारतीय सेना के चीफ की बात करते हैं तो फील्ड मार्शल कोडेंद्ररा मडप्पा करीपप्पा का नाम पहले स्थान पर आता हैं क्योंकि वे आजादी के बाद पहले सेना प्रमुख हैं। ये कर्नाटक से है और इन्हें किपर के नाम से भी जाना जाता हैं। लेफ्टिनंट जनरल के बाद 1948 में सेना कमांडर के पद पर रहे। 1949 में वे भारतीय सेना के प्रथम कमांडर-इन-चीफ बने। 1949 से 1959 के दौरान उन्होंने राजपूत रेजिमेंट कर्नल के पद पर रहकर सेवा दी। 1986 में भारत के राष्ट्रपति ने इन्हें क्षेत्र पद से सम्मानित किया।

2. फील्ड मार्शल सैम होर्मसजी फ्रैमजी जमशेदजी मानेकश

समय- 8 जून 1969 से 15 जून 1973

3 अप्रैल 1914 को जन्में मानकेश को उनके दोस्त सैम के नाम से बुलाते थे। इन्होंने स्कूली शिक्षा को अमृतसर और नैनिताल में शुरू किया। ये वे व्यक्ति है जिन्होंने अपनी कंपनी को बडी बहादुरी से संभाला। बर्मा अभियान के तहत जापानीयों के खिलाफ कई सेवाएं दी। इसी बहादुरी और साहस के लिए उन्हें सैन्य क्रॉस से सम्मानित किया। ये तीसरी भारतीय मिलिटरी एकेडमी के 40 कैडेटों के पहले बैच में से एक हैं। इससे पहले 1968 में देश को दी गई सेवाओं व समर्पण के लिए इन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया। सेना प्रमुख के पद पर रहकर इन्होंने हमारे देश की सेना को युद्ध के लिए तैयार किया। बीमारी के चलते 27 जनवरी 2008 को 94 की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई।

3. जनरल अरून कुमार श्रीधर वैध

समय- 1 अगस्त 1983 31 जनवरी 1985

1945 में जनरल एएस वैध को बख्तरबंद कवचित को कमीशन किया गया था। ये दूसरे विश्व युद्ध के साक्षी थे। 1965 के भारत-पाकिस्तान के युद्ध में जो साहस दिखाया उसे देखते हुए उन्हें महा वीर चक्र से सम्मानित किया। अपनी अन्य सेवाओं के लिए उन्हें 1983 में परम विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया और इसी वर्ष इन्हें भारतीय सेना प्रमुख का पद मिला। इन्होंने 1985 तक इस पद पर काम किया। 10 अगस्त 1986 को इनका निधन हो गया।

4. जनरल वेद प्रकाश मलिक

समय- 1 अक्टूबर 1997 से 30 सितंबर 2000

इनका जन्म 1 नवंबर 1939 को हुआ। इन्हें 1989 में जनरल ऑफिसर कमांडिंग के पद पर माउंटेन डिवीजन के लिए चुना गया था। सेना मुख्यालय से पहले इन्हें जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के पद के लिए चुना। वर्ष 1995 में इन्हें परम सेवा पदक से सम्मानित किया। 19 वीं भारतीय सेना के प्रमुख के लिए 1997 में इन्हें स्थान दिया। इसके साथ ही इन्होंने चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष के पद पर कार्यभार संभाला व 1999 में इसका प्रभाव देखा। ‘कून नागरिक परिषद्’ द्वारा 2000 में इन्हें राष्ट्र पुरस्कार से सम्मानित किया। इन्हें उत्कृष्टता में नेतृत्व पुरस्कार से ‘अटूर फाउंडेशन’ ने

सम्मानित किया। साथ भारतीय सेना प्रमुख के पद से 2000 में रिटायर्ड हो गए।

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5. जनरल वीके सिंह

समय- 31 मई 2010 से 31 मई 2012

सिंह की समय अवधि मई 2012 से कुछ महिने पहले पूरी होने के कारण ये देश के एक प्रसिद्ध अधिकारी हैं। इसके साथ ही राजपूत रेजिमेंट के तीसरी पीढ़ी के अधिकारी हैं। इनका प्रदर्शन शानदार होने से इनका करियर काफी यादगार था। भारतीय सेना अच्छे प्रदर्शन व सेवओं के कारण इन्हें भारत के राष्ट्रपति ने 2009 में परम विश्व सेवा पदक से सम्मानित किया। इसके साथ ही इनकी रूची गोल्फ,टेनिस व बैडमिंटन में तो थी ही साथ ही ट्रेकिंग और फोटोग्राफी से भी बेहद प्यार था।

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