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दोस्तों, आपको बता दें कि भारत अब तक अपने पड़ोसियों से कई युद्ध लड़ चुका है। कई मुश्किलों से घिरा होने के बावजूद भारतीय सेना के जाबांजों का सिर्फ और सिर्फ एक ही मकसद होता है, हर कीमत पर अपने नागरिकों तथा देश की सुरक्षा करना।

भारतीय सेना में मिलिट्री, नेवी और एयरफोर्स नाम के तीन अंगों में मौजूद कुछ ऐसी स्पेशल फोर्सेस हैं, जो हर समय अपने दुश्मनों के दांत खट्टे करने का हुनर जानती हैं। दुश्मनों पर करारा प्रहार करने के लिए इन भारतीय कमांडो फोर्सेस को अलर्ट होने में सिर्फ आंधे घंटे का वक्त मिलता है।

इस स्टोरी में आज हम आपको भारत के सबसे खतरनाक कमांडो फोर्सेस के बारे में बताने जा रहे हैं, जो पलक झपते ही अपने दुश्मन को धूल में मिला देते हैं। दुश्मनों में आतंक के लिए सिर्फ इनका नाम ही काफी है।

मार्कोस मरीन कमांडो
मार्कोस मरीन कमांडो सबसे ट्रेंड और आधुनिक कमांडो माने जाते हैं। मार्कोस मरीन कमांडो बनने ​के लिए दुनिया के सबसे मुश्किल प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता है। मार्कोस कमांडो शारीरिक और मानसिक क्रूरता के लिए तैयार किए जाते हैं। ये कमांडोज किसी जगह का खास निरीक्षण, कांउटर टेररिज्म, होस्टेंज रेस्यूकस, अनकंवेंशनल वॉरफेयर और पर्सनल रिकवरी जैसे ऑपरेशनों को बड़ी सफाई से अंजाम देते हैं। ये कमांडो जमीन, आसमान और समुद्री लड़ाई लड़ने में पूरी तरह से सक्षम होते हैं। मार्कोस को अमेरिकी नेवी के स्पेशल फोर्स सील्स की तरह ट्रेंड किया गया है।

कोबरा कमांडो
भारत की सबसे बेहतरीन फोर्सेस में से एक हैं कोबरा कमांडो। सीआरपीएफ की यह विशेष कमांडो फोर्स भेष बदलकर दुश्मन पर हमला करने में माहिर है। दुनिया के बेस्ट पैरामिलिट्री फोर्सेस में से एक कोबरा कमांडोज को गोरिल्ला ट्रेनिंग दी जाती है। कोबरा फोर्स को दिल्ली में संसद और राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा के लिए भी तैनात किया गया है।

पैरा कमांडोज
पैरा कमांडोज इजराइली टेओर असॉल्ट राइफल से युक्त होते हैं। इंडो-म्यांमार बार्डर तथा पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था। जमीन और हवा में लड़ने में माहिर पैरा कमांडोज को पैराशूट से कूदकर दुश्मन के इलाकों में अंदर तक घुसने में महारत हासिल होती है। 1971 और 1999 में हुई जंग में पैरा कमांडोज ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भारतीय सेना में यह एक मात्र यूनिट है, जो सैनिकों की बॉडी पर टैटू रखने की अनुमति है। हजारों में से केवल 10 से 20 फीसदी लोग ही इसकी ट्रेनिंग पास कर पाते हैं।

ब्लैक कैट कमांडो
ब्लैक कैट कमांडो खतरनाक कमांडो फोर्स में से एक हैं। यह यूनिट अपने काम को अंजाम देने में थोड़ा भी नहीं हिचकती है। देश में घुसे आतंकवादियों को मारना हो या फिर उन्हें कहीं से भी ढूंढ निकालना हो ब्लैक कैट कमांडो बड़ी आसानी अपनी कार्रवाई को पूरा करते हैं। मुंबई हमले के दौरान बड़ी सफलतापूर्वक इस यूनिट ने आतंकियों से निपटने का काम किया था। ऑपरेशन ब्लूस्टार को भी ब्लैक कैट कमांडो ने बड़ी समझदारी से संभाला था।

गरुड़ फोर्स
साल 2004 में इंडियन एयरफोर्स ने गरुड़ फोर्स का गठन एयर बेस की सुरक्षा के लिए किया था। बाद में गरुड़ फोर्स को दुश्मन की सीमाओं में घुसकर आॅपरेशन करने के लिए भी तैयार किया गया। आर्मी फोर्सेस से अलग ये कमांडो काली टोपी पहनते हैं। 72 हफ्तों की ट्रेनिंग के बाद गरुड़ फोर्स में शामिल होने में लगभग 3 साल तक का समय लग जाता है। दुश्मन के प्रहार से देश की सुरक्षा करने के लिए तत्पर रहने वाले कमांडोज का नाम है गरुड़ फोर्स।

एसपीजी
एसपीजी यानि स्पेशल प्रोटेक्शन फोर्स को देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए तैयार किया गया है। पूर्व प्रधानंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद प्रधानमंत्री की विशेष सुरक्षा के लिए एसपीजी का गठन किया गया। एसपीजी पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवारों को सुरक्षा प्रदान करते हैं।

घातक फोर्स
दुश्मन पर अचानक हमला करने में माहिर घातक फोर्स इंडियन आर्मी की ही एक यूनिट है। घातक फोर्स की एक यूनिट में केवल 20 लोग होते हैं। यह थल सेना के बिल्कुल आगे होते हैं, ताकि हमले के वक्त दुश्मन की हर गतिविधि की जानकारी मिलती रहे। इनकी ट्रेनिंग बहुत ही कठिन व खतरनाक होती है। यह छापामार युद्ध शैली में प्रवीण होते हैं तथा इन्हें 50-60 किलोमीटर तक तेजी से चलने की ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग के दौरान हाथों में बंदूक और पीठ पर 20 किलो वजन के साथ इन्हें मीलों दौड़ाया जाता है।

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