कोलकाता: पश्चिम बंगाल की सीएम और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो ममता बनर्जी ने महालया से तीन दिन पहले पितृ पक्ष में मां दुर्गा पूजा पंडाल का उद्घाटन शुरू कर दिया है. ममता न केवल पूजा मंडप में गईं, बल्कि मां की प्रतिमा के चरणों में माल्यार्पण भी किया, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है. सियासी गलियारों में भी जमकर बवाल हो रहा है. गुरुवार (22 सितंबर) को सीएम ममता ने श्रीभूमि, साल्ट लेक एफडी ब्लॉक और ताला पाड़ा के पूजन की शुरुआत की.

वहीं आलोचकों का कहना है कि सीएम ममता द्वारा इस पूजा के उद्घाटन में परंपरा की बात अप्रासंगिक हो गई है. दरअसल, दुर्गा पूजा की रस्म भी बदल गई, क्योंकि इसका उद्घाटन महालय से तीन दिन पहले ही हुआ है, जो कि रीति-रिवाजों और परंपरा के अनुरूप नहीं है। सीएम ममता ने सबसे पहले श्रीभूमि पूजा का उद्घाटन करते हुए कहा कि पूजा गुरुवार से शुरू हो गई है. लेकिन वो कहती सुनाई दे रही हैं, ''मां ने अभी ज्वैलरी नहीं पहनी है. मुझे माफ़ करदो।''

इस मुद्दे पर भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने ट्वीट किया, ''माननीय मुख्यमंत्री ने पितृ पक्ष में दुर्गा पूजा का उद्घाटन किया! इस समय पितरों का तर्पण किया जाता है और पितरों की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है. इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. लेकिन सीएम ममता ने अकेले सभी बंगालियों को खत्म करने का फैसला किया है.'' वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा, ''पितृ पक्ष का मतलब भूत होता है. इस समय दुर्गा पूजा कैसे शुरू हो सकती है? सीएम ममता अपनी प्रशासनिक शक्तियों का उपयोग करके जो चाहें कर सकती हैं, लेकिन पूजा करनी है तो शास्त्रों के नियमों का पालन करना होगा।''

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