लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक को पेश करते वक्त गृहमंत्री अमित शाहने नेहरू-लियाकत पैक्ट का जिक्र किया, और कहा अगर नेहरू-लियाकत पैक्ट फेल नहीं हुआ होता तो आज नागरिकता संशोधन विधेयक को पेश करने की जरूरत नहीं पड़ती, अब सवाल ये है कि नेहरू-लियाकत पैक्ट क्या है।

भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद लाखों लोगों का पलायन हुआ था, बंटवारे के बाद जगह-जगह दंगे फैल गए, दिसंबर 1949 में दोनों देशों के बीच के व्यापारिक संबंध खत्म हो गए, दोनों देशों के अल्पसंख्यकों के साथ काफी अत्याचार हुए. महिलाओं से बलात्कार के मामले सामने आए। पुरुषों और बच्चों की क्रूरता से मार डालने की घटनाएं हुई।

तब इस पूरे मसले को सुलझाने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खान और भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बीच एक पैक्ट हुआ, जिसे नेहरू-लियाकत पैक्ट के नाम से जाना जाता है। दिल्ली में करीब एक हफ्ते की बैठक चलने के बाद दोनों देश एक एग्रीमेंट पर राजी हुए। इस पैक्ट में दोनों देशों में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उन्हें बाकी नागरिकों की तरह अधिकार देने का वादा किया गया था।

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