संसद की स्थायी समितियों में मोदी सरकार ने आने वाले कुछ दिनों में बड़े बदलाव करने का फैसला लिया है। सरकार द्वारा नए पुनर्गठन से प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है। वरिष्ठ सूत्रों के अनुसार प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस जल्द ही राज्यसभा में गृह मंत्रालय की स्थायी समिति की अध्यक्षता और लोकसभा में संचार और सूचना तकनीकी मंत्रालय की स्थायी समिति की अध्यक्षता खोने वाली है।

आइटी समिति की अध्यक्षता कांग्रेस के शशि थरूर करते हैं। इन समितियों का गठन कुछ सालों के अंतराल पर होता है और अध्यक्ष पद रोटेशन के हिसाब से बदलता रहता है। हाल ही में सदन के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को लिखे पत्र में कहा था कि संसदीय आवश्यकताओं के अनुरूप गृह मंत्रालय की समिति की अध्यक्षता हमेशा विपक्ष को ही दी जाती है। खड़गे के इस पत्र में कहा गया है कि वह इस बात की सराहना करते हैं कि कई राजनीतिक दल हमेशा अध्यक्ष पद अपने पास ही रखना चाहते हैं। हालांकि लोकतंत्र में सबको समाहित करने की सोच या लेने-देने के सिद्धांत को सुनिश्चित करते हुए संसद जैसी संस्थानों की प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करती है। वह सोचते हैं कि हमारी पार्टी की इस अपील को माना जाएगा।

आपको बता दे की सत्तारूढ़ भाजपा आइटी और गृह मंत्रालय जैसी सभी समितियों को अपने पास ही रखेगी। सूत्रों के मुताबिक पर्यावरण और वन मंत्रालय की स्थायी समिति का अध्यक्ष पद भी कांग्रेस के पास है। इसके अध्यक्ष पद पर कांग्रेस सदस्य जयराम रमेश हैं। यह लोग इस समिति को कायम रखना चाहते हैं और सुनने में आया है कि वाणिज्य मंत्रालय की समिति के अध्यक्ष पद की भी मांग की गई है। अब समितियों के पुनर्गठन के साथ ही कई और बदलाव भी होंगे। लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के पास भी एक समिति का अध्यक्ष पद है। लोकसभा में सदस्य सुदीप बंदोपाध्याय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की समिति के अध्यक्ष हैं। अब संसद में इनके पास एक भी अध्यक्ष पद नहीं रहेगा। हाल ही में देखा गया है कि बंगाल में चुनाव के दौरान इस पार्टी ने भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ बेहद खराब बर्ताव किया है।

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