पटना: बिहार के तीसरे चरण में सीमांचल क्षेत्र की विधानसभा सीटों पर वोट डाले जाने हैं, जहां मुस्लिम निर्णायक भूमिका में हैं। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, जो बिहार की राजनीति में अपनी पैठ बनाने का सपना देख रहे हैं, सीमांचल की राजनीतिक जमीन को काफी उपजाऊ पा रहे हैं, जिसके कारण ग्रैंड अलायंस की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

राजद नेता तेजस्वी यादव अपने पिता लालू प्रसाद यादव के नक्शेकदम पर चलते हुए ओवैसी की राजनीति को तोड़ने की अपनी रणनीति पर चल रहे हैं। ओवैसी पर सीधे हमला करने के बजाय तेजस्वी उन्हें भाजपा का सहायक बता रहे हैं। सीमांचल में किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार चार जिलों के अंतर्गत 24 विधानसभा सीटें हैं। यहां मुस्लिम मतदाता लगभग 40 से 70% हैं। यही कारण है कि एआईएमआईएम ने सीमांचल के चार जिलों में 17 उम्मीदवार उतारे हैं।

कटिहार-अररिया-पूर्णिया में किशनगंज की तीन सीटों पर AIMIM के उम्मीदवार लड़ रहे हैं, जिनके लिए असदुद्दीन ओवैसी जीत के लिए यहाँ डेरा डाले हुए हैं और मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। सीमांचल में, सीएए, एनआरसी और एनपीआर जैसे मुद्दों पर विकास के सभी दावों और वादों के बीच चर्चा की जा रही है।

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