भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर रावण की रिहाई के पीछे छुपा है भाजपा का यह असली मंसूबा
मई 2017 में यूपी के सहारनपुर जिले में हुई जातीय हिंसा के आरोपी चंद्रशेखर रावण को योगी सरकार ने रिहा कर दिया है। भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर रावण की रिहाई के पीछे दो प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं।
दोस्तों आपको बता दें कि शुक्रवार के दिन सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करना है। वहीं भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव से पहले दलितों की हमदर्दी हासिल करना चाहती है। हांलाकि सहारनपुर सहित सभी मामलो में रावण को पहले ही जमानत मिल चुकी थी, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत केवल 26 दिन की सजा शेष रह गई थी।
ऐसे में ठीक 26 दिन पहले ही योगी सरकार ने चंद्रशेखर रावण को रिहा कर दिया है। रिहाई के बाद अपने गांव छुटमुलपुर पहुंचे चंद्रशेखर रावण ने बयान दिया है कि उनकी गिरफ्तारी और रिहाई बीजेपी की एक बड़ी साजिश है। उन्होंने कहा कि यह सरकार तानाशाह है, इसके खिलाफ जो भी आवाज उठाता है उसे गिरफ्तार कर लिया जाता है। चंद्रशेखर रावण ने कहा कि मैं अपने लोगों से यही कहूंगा कि साल-2019 में वह बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेंके।
दोस्तों, आपको बता दें कि 2 अप्रैल को पहले दलितों ने, इसके बाद 6 अगस्त सवर्णों ने एससी-एसटी एक्ट के विरोध में भारत बंद का ऐलान किया था। इन दिनों बीजेपी देश के सवर्णों के निशाने पर आ चुकी है, ऐसे में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव-2019 से पहले दलित विरोधी दाग छुड़ाने का हर सभंव प्रयास करती हुई नजर आ रही है।
चूंकि सहारनपुर जिले के शब्बीरपुर कांड को सभी राजनीतिक पार्टियों ने बीजेपी को दलित विरोधी का प्रतीक बनाने की कोशिश की थी। बतौर उदाहरण बसपा मुखिया मायावती ने भी सहारनपुर हिंसा का नाम लेकर राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था। हांलाकि मायावती ने भीम आर्मी को एक छोट-मोटा संगठन करार दिया था। गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश के डलहौजी से चंद्रशेखर रावण को 8 जून 2017 को अरेस्ट कर लिया गया था।