भारत देश में महिलाओं और पुरुषों को समानता का अधिकार है। हालाकिं कुछ लोग इस बात को नहीं स्वीकारते हैं और महिलाओं को बराबर का दर्जा नहीं देते हैं लेकिन प्राचीन काल से ही महिलाओं को पुरुषों से अधिक महत्व दिया जाता रहा है।

आज हम आपको कुंभ में शामिल होने वाली महिलाओं के बारे में बताने जा रहे हैं। ये काम इतना मुश्किल है कि हर कोई इस मार्ग को नहीं अपना सकता है। अगर कोई महिला नागा साधुओं की टोली में शामिल होना चाहती हैं तो उन्हें एक विशेष तरह का टेस्ट पास करना होता है। नागा साधुओं की लाइफस्टाइल अपनाने के मामले में विदेशी महिलाऐं आगे है।

अगर कोई महिला नागा साधु बनना चाहती है तो उसे नागा साधु बनने की दीक्षा जी जाती है। पुरुषों की तरह ही उन्हे भी कठिन नियमों का पालन करना होता है। उन्हें सभी वस्त्रो को त्याग कर केवल गेरूए रंग के कपड़े पहनने होते हैं। नागा साधु बनने से पहले महिलाओं को 10 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। इतना ही नहीं यदि कोई महिला नागा साधवी बनना चाहती हैं तो उसकी पिछली जिंदगी के बारे में पता किया जाता है कि उसने कुछ छुपाया तो नहीं है। उन्हें भी काफी कठिन नियमों को फॉलो करना होता है।

नागा साधु बनने से पहले महिला को यह भी साबित करना होता है कि वह केवल ईश्वर से प्यार करती ही और उनके सामने दुनिया भर की सुख सुविधाओं का त्याग करने के लिए तैयार है। सांसारिक खुशियों में उसका कोई मोह नहीं है । वे नागा साधुओं के नहाने के बाद स्नान करती है और इस स्नान के बाद वे गेरुए रंग के कपडे पहन कर ही रखती हैं। महिला नागा साधु को माता कहा जाता है।

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