भारत में अनगिनत मिठाईयां बनाई जाती हैं, कभी सूखी मिठाई तो कभी मावे की मिठाई, छेना की मिठाई तो कभी फलों की मिठाई। आटे की मिठाई, गुड़ की मिठाई, चावल की मिठाई आदि।

कितनी मिठाईयों के नाम तो शायद हर किसी को याद भी ना हो। लेकिन आज इस स्टोरी में आज हम आपको एक ऐसी हिंदुस्तानी मिठाई का किस्सा बताने जा रहे हैं, जिसका संबंध अग्रेंजी हुकूमत से जुड़ा हुआ है। जी हां, दोस्तों हम आपसे तिरंगा बर्फी की बात कर रहे हैं।

ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरा बिल्कुल तिरंगे झंडे की तरह होती है तिरंगा बर्फी। यह बर्फी दुकानों पर अक्सर दिख जाती है। यह देशी मिठाई अग्रेंजी बगावत की प्रतीक है। अंग्रेजों के बैन को ठेंगा दिखाने के लिए बनारस में तिरंगा बर्फी बनाई गई थी।

कई प्रयासों के बाद ऊपर केसरिया पट्टी, बीच में सफेद पट्टी, उस पर नीले रंग का चरखा तथा सबसे नीचे हरी पट्टी से तिरंगे को अंतिम स्वरूप दिया गया था। 1931 में कांग्रेस पार्टी ने तिरंगे को अपना अपना आधिकारिक झंडा स्वीकार किया। जैसे-जैसे यह झंडा लोकप्रिय होता गया अंग्रेजों की इससे चिढ़ बढ़ती ही गई।

जब अंग्रेजों ने कांग्रेस के इस लोकप्रिय झंडे पर बैन लगा दिया तब राष्ट्रवाद की अलग जगाए रखने के लिए बनारस के लोगों ने तिरंगा बर्फी बनाई। भारत आजाद हुआ तब मिठाइवालों ने तिरंगा रंग की बर्फी बना दी। पूरे बनारस शहर में ये ही तिरंगा मिठाई ही बंटवाई गई। तब से लेकर आज तक तिरंगा बर्फी बनाने की परंपरा चली आ रही है। हांलाकि ज्यादातर लोगों को तिरंगा बर्फी का इतिहास नहीं पता है लेकिन यह बर्फी आज भी खूब बिकती है।

Related News