ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण पर इलाहाबाद HC ने लगाई रोक, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने दी थी चुनौती
इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad HC) ने गुरुवार को वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर( Kashi Vishwanath Temple-Gyanvapi Mosque) में पुरातात्विक सर्वेक्षण का निर्देश देने वाले वाराणसी के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी है।
जस्टिस प्रकाश पाडिया (Justice Prakash Padia) की सिंगल बेंच यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड (UP Sunni Central Waqf Board) और अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद वाराणसी द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी। उन्होंने कहा कि सिविल जज आशुतोष तिवारी ने एचसी के समक्ष शीर्षक विवाद की स्थिरता के संबंध में याचिकाओं के लंबित होने के बावजूद आदेश पारित किया था।
1780 में महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 इसपर लागू नहीं था। अयोध्या भूमि विवाद पर मुकदमेबाजी को छोड़कर इस कानून ने अदालतों को किसी भी याचिका पर विचार करने से रोक दिया।
इसके अलावा, रस्तोगी ने अयोध्या भूमि विवाद के परिणाम का हवाला देते हुए कहा कि इस मुद्दे को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा खुदाई से हल किया जा सकता है। दूसरी ओर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने दलील दी थी कि 15 अगस्त, 1947 को जो स्थिति थी उसे जारी रखा जाना चाहिए। हालांकि, सिविल जज आशुतोष तिवारी ने 5 सदस्यीय एएसआई टीम को पूरे परिसर का अध्ययन करने का निर्देश दिया, जिसका खर्च उत्तर प्रदेश सरकार वहन करेगी।
न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने कहा, “न्यायालय की राय में नीचे की अदालत को इस न्यायालय के समक्ष लंबित याचिकाओं में फैसले की प्रतीक्षा करनी चाहिए और निर्णय आने तक मामले में आगे नहीं बढ़ना चाहिए। न्यायिक शिष्टाचार, मर्यादा और अनुशासन की निम्न न्यायालय से अपेक्षा की गई थी, लेकिन कुछ कारणों से कोई भी कोर्स नहीं लिया गया। यह खेदजनक है कि नीचे की अदालत ने वर्तमान मामले में इसके पारंपरिक तरीके को न अपनाकर और स्वयं प्रश्न की जांच करने का फैसला किया। कोर्ट ने कहा कि मैं आशा करता हूं कि नीचे की अदालत से जिसे जिम्मेदारी की अपेक्षा की जाती है वह खत्म नहीं होगी।”
अयोध्या रामजन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पूरे काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मंदिर परिसर को पुनः प्राप्त करने के लिए कुछ संगठनों ने नए सिरे से हंगामा किया गया था।
8 अप्रैल को वाराणसी की अदालत का आदेश विजय शंकर रस्तोगी की याचिका पर आधारित था, जिन्होंने यह कहते हुए तर्क दिया था कि पूरा परिसर अकेले मंदिर का है। मूल काशी विश्वनाथ मंदिर 2000 साल पहले बनाया गया था, उन्होंने दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण 1669 में मुगल सम्राट औरंगजेब द्वारा मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया गया था।