पिता की मौत के बाद बहन प्रियंका ने राहुल से क्या कहा? जानिए
1991 में राजीव गांधी की मौत के बाद 10 जनपथ किसी किले में तब्दील कर दिया गया था। घर के किसी सदस्य को घर से बाहर जाने की इजाजत नहीं थी, राजीव गांधी ने हमेशा घर और दफ्तर के बीच एक दूरी बनाकर रखी थी, सोनिया गांधी 1984 के चुनाव में राजीव के साथ प्रचार के लिए अमेठी गई जरुर थीं लेकिन राजनीति से उनका दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था।
लेकिन राजीव के जाने के बाद उनकी जिंदगी तेजी से बदल गई थी,उनके दरवाजे पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं का तांता लगा हुआ था। इसके अलावा दुनिया के कोने-कोने से सांत्वना भरे खत आ रहे थे, उन्हें इस हाल में सबसे ज्यादा सहारा दिया उनकी बेटी प्रियंका ने।
पिता की मौत ने प्रियंका के लिए सबकुछ बदल कर रख दिया,वो अखबारों में अपने पिता के बारे में छप रही एक-एक लाइन का नोट लिया करती, अमेठी से आने वाले लोगों से मिलती,वो अपनी मां के साथ तमाम राजनेताओं से मिलती। संवेदना से भरे खतों का जवाब लिखतीं।
राहुल उस वक़्त हार्वड में पढाई कर रहे थे, पिता की मौत के बाद यह तय नहीं हो पा रहा था कि वो आगे की पढ़ाई के लिए फिर से हावर्ड लौटेंगे भी कि नहीं, प्रियंका ने उस समय जोर देकर कहा कि राहुल को पढ़ाई जारी रखनी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा, “मां को मैं संभाल लूंगी।
7 साल के भीतर गांधी परिवार के दो लोगों की हत्या हो चुकी थी, यही वो दौर था जब प्रियंका गांधी ने राजनीति में कदम ना रखने का फैसला लिया, लेकिन बाद में उनकी किस्मत ने उन्हें राजनीति का दरवाजा दिखाया।