शिवपाल यादव के बाद अब राजा भैया बने अखिलेश के लिए बड़ी मुसीबत, यह है असली वजह
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दोस्तों, आपको जानकारी के लिए बता दें कि यूपी के बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया लोकसभा चुनाव-2019 से पहले एक नई पार्टी का गठन कर सकते हैं। बता दें कि कुंडा रियासत के राजा व बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह 30 नवंबर को राजनीति में अपने 25 साल पूरे करने जा रहे हैं। इस खास मौके पर वह एक नई राजनीतिक पार्टी का ऐलान करेंगे।
खबरों के अनुसार, चुनाव आयोग में इस नई पार्टी के लिए आवेदन किया जा चुका है और नाम भी लगभग तय माना जा रहा है। रघुराज प्रताप सिंह की इस पार्टी का नाम जनसत्ता पार्टी हो सकता है। विधायक राजा भैया ने अपनी राजनीतिक पार्टी के लिए यही नाम सुझाया है।
मीडिया खबरों के मुताबिक, लखनऊ के रमाबाई मैदान में 30 नवंबर को आयोजित की जाने वाली एक बड़ी रैली में राजा भैया अपनी नई राजनीतिक पार्टी का ऐलान कर सकते हैं।
कभी बीजेपी के साथ निर्दलीय रहकर तो कभी समाजवादी पार्टी का साथ देकर अपनी सियासत चमकाने वाले राजा भैया इसलिए नई पार्टी का गठन करने जा रहे हैं, क्योंकि कोई भी राजनीतिक दल उनके साथ खड़ा होने को तैयार नहीं है।
बसपा मुखिया मायावती से छत्तीस का आंकड़ा
बता दें कि राज्यसभा चुनाव के वक्त से राजा भैया के संबंध समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से बेहद खराब हो चुके हैं। इसके अलावा बसपा सुप्रीमो मायावती पहले से ही उनकी धुरंधर सियासी विरोधी हैं। बीजेपी राजा भैया से दूरी बनाना चाह रही है। ऐसे में लोकसभा चुनाव-2019 में बाहुबली विधायक राजा भैया अपनी सियासी ताकत टटोलना चाहते हैं।
2019 से पहले नई पार्टी बनाने का नजरिया
दोस्तों, आपको बता दें कि सपा-बसपा गठबंधन होने पर आधी सीटों पर ऐसे प्रत्याशी खाली होंगे, जिन्हें किसी ना किसी पार्टी की जरूरत होगी। ऐसे में अधिकांश उम्मीदवार किसी ना किसी राजनीतिक दल की तलाश में होंगे। ऐसे में शिवपाल यादव और राजा भैया की पार्टी की डिमांड ज्यादा होगी। इसी रणनीति के तहत राजा भैया ने अपनी नई राजनीतिक पार्टी बनाने का ऐलान किया है। जाहिर है शिवपाल और राजा भैया की इस सियासी रणनीति से अखिलेश यादव को ही नुकसान होगा, क्योंकि ये दोनों नेता अंदर से बीजेपी के समर्थक बताए जा रहे हैं।