इस बार के राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा की दोबारा सत्ता में वापसी मुश्किल होती दिखाई दे रही है। सूबे के ज्यादातर लोग वसुंधरा सरकार को फिर से सत्तासीन करने के मूड में नहीं दिखाई दे रहे हैं। ठीक इसके विपरीत नरेंद्र मोदी के कामकाज को लेकर उनमें ज्यादा नाराजगी नहीं दिख रही है।

इस राज्य का इतिहास गवाह है कि यहां की जनता किसी भी पार्टी की सरकार को दोबारा सत्ता में मौका नहीं देती है। एक प्रतिष्ठित न्यूज चैनल द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार, भाजपा और वसुंधरा राजे दोनों के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है।

राज्य के 48 फीसदी लोगों का मानना है कि सत्ता परिवर्तन होना ​ही चाहिए। जबकि 32 फीसदी जनता के मुताबिक वसुंधरा राजे का यह कार्यकाल अच्छा रहा है। वहीं 12 फीसदी लोग राज्य सरकार के काम को ठीकठाक मानते हैं।

मुख्यमंत्री पद को लेकर वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत में कांटे की टक्कर दिखी। 35-35 फीसदी लोगों ने दोनों का ही नाम लिया है। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट बहुत पीछे हैं। सीएम पद के लिए उन्हें महज 11 फीसदी लोगों ने पसंद किया है।

युवा नेता सचिन पायलट आज भी अशोक गहलोत के मुकाबले अभी बहुत पीछे हैं। राज्यवर्धन सिंह राठौर तथा भाजपा नेता ओम माथुर में राजस्थान की जनता ने कोई रूचि नहीं दिखाई।

हांलाकि राज्य की 57 फीसदी जनता नरेंद्र मोदी को ही प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहती है, जबकि केवल 35 फीसदी लोग कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। इस सूबे की जनता ने अघोषित नारा दिया है- मोदी से वैर नहीं, वसुंधरा की खैर नहीं।

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