पाकिस्तान के 7 पैटर्न टैंकों को अकेले ही बर्बाद करने वाले महायोद्धा का नाम है अब्दुल हमीद
1965 के जंग में अपनी करारी हार को पाकिस्तान आज तक नहीं भूला पाया है। शायद यही वजह रही कि इस युद्ध के बाद भी पाक ने भारत पर कई हमले किए, यह अलग बात है कि हर बार उसे मुंह की खानी पड़ी। अगर हमने आप से 1965 युद्ध की चर्चा शुरू ही कर दी है, तो इसमें शहीद अब्दुल हमीद की बहादुरी का उल्लेख किए बिना यह कहानी थोड़ी अधूरी लगेगी।
जी हां, यूपी के पूर्वांचल में मौजूद गाजीपुर जिले में इस महानायक का जन्म हुआ था। वीर अब्दुल हमीद 27 दिसम्बर 1954 को इंडियन आर्मी में भर्ती हुए थे। पाक के विरूद्ध 1965 के युद्ध में इस महानायक को मरणोपरांत महावीर चक्र तथा परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
यह घटना 1965 की है, जब रात में ही पाकिस्तान ने पंजाब के तरनतारन जिले के खेमकरण सेक्टर में हमला कर दिया था। पाकिस्तानी सेना ने अमेरिकन पैटर्न टैंकों के साथ खेमकरण सेक्टर में हमला किया था। पाकिस्तानी सेना को अपने इन ताकतवर और अपराजेय माने जाने वाले अमेरिकी टैंकों पर बहुत नाज था।
संयोगवश खेमकरण पोस्ट पर गाजीपुर का यह महायोद्धा तैनात था। अब्दुल हमीद ने अपनी मोर्टार गन से पैटर्न टैंकों के कमजोर हिस्सों पर सटीक निशाना लगाकर एक-एक कर ध्वस्त करना शुरू कर दिया। देखते ही देखते ही अब्दुल हमीद ने सात अमेरिकन पैटर्न टैंकों को नष्ट कर पाकिस्तानी सेना में खलबली मचा दी।
अब खेमकरण क्षेत्र पाकिस्तानी टैंकों की कब्रगाह बन चुका था। तभी पाकिस्तानी सेना ने इस महायोद्धा को निशाना बनाया। लिहाजा दुश्मन सेना का एक गोला अब्दुल हमीद की जीप पर आ गिरा, जिससे यह शेर बुरी तरह घायल हो गया। इसके बाद 9 जुलाई को इस वीर का स्वर्गवास हो गया, लेकिन शहीद होने से पहले अब्दुल भारत को युद्ध में निर्णायक बढ़त तो दिलवा ही चुके थे।