इस स्टोरी में आज हम आपको यूपी स्थित जेल नैनी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें देश व प्रदेश के सबसे खूंखार कैदियों को रखा जाता है। यह जेल ब्रिटीश राज से लेकर आज तक सुर्खियों में बना हुआ है। उत्तर प्रदेश के इलाहबाद स्थित नैनी जेल की क्षमता 3,000 कैदियों की है। नैनी सेंट्रल जेल क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत की चौथी सबसे बड़ी जेल है।

यह जेल भारत की सबसे सुरक्षित जेलों में से एक मानी जाती है। ब्रिटीश साम्राज्य के दौरान नैनी जेल कैदखाना के रूप में प्रसिद्ध थी। ब्रिटीश गर्वनमेंट ने आजादी के आंदोलन को कुचलने के लिए देश के कई स्वतंत्रता सेनानियों को इसी जेल में कैदी बनाकर रखा था।

आपको जानकारी के लिए बता दें कि आजादी के दौरान सबसे बड़े अंग्रेजी खजाने की लूट करने वाले क्रांतिकारियों राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खां, रोशन सिंह को नैनी जेल में कैद करके रखा गया था।

जब महात्मा गांधी ने 1930 में सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरूआत की थी, तब अंग्रेजों ने पंडित मदन मोहन मालवीय को दिल्ली में एक कार्यसमिति की बैठक में गिरफ्तार कर नैनी जेल भेज दिया था।

पंडित जवाहर लाल नेहरू को 14 अप्रैल, 1930 को जब छह महीने का कारावास हुआ था, तब उन्हें नैनी सेंट्रल जेल भेज दिया गया। इस जेल से उन्होंने अपनी पहली किताब डिस्कवरी ऑफ इण्डिया लिखनी शुरू की थी।

इंदिरा गांधी तथा उनके पति फ़िरोज़ गांधी को 11 सितम्बर, 1942 में इसी जेल में कैद किया गया था। एक परिवार के तीन सदस्य मोतीलाल नेहरू, जवाहर लाल नेहरू तथा इंदिरा गांधी स्वाधीनता आंदोलन के दौरान इसी जेल में रहे।

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