हिंदू धर्मग्रंथों में श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार कहा गया है। पुराणों में इस बात का स्पष्ट वर्णन है कि भगवान श्रीकृष्ण स्वयं नारायण के स्वरूप थे। श्रीमद्भागवत गीता के मुताबिक, महाभारत युद्ध के समय श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपना विराट रूप दिखाया था।

लेकिन इस बात को बहुत कम लोग जानते हैं कि एक बार ब्रह्मा जी ने भी श्रीकृष्ण भगवान की परीक्षा ली थी। आगे क्या हुआ, यह जानने के लिए इस स्टोरी को जरूर पढ़ें।

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान ब्रह्मा को यह बात पता थी कि स्वयं भगवान विष्णु ने इस धरती पर अवतार लिया है। इसलिए उन्हें देखने के लिए एक दिन ब्रह्मा जी धरती पर आए। लेकिन वे इस धरती पर भगवान श्रीकृष्ण का रूप देखकर हैरान रह गए।

उन्होंने देखा कि बालक श्रीकृष्ण अपने दोस्तों और गाय के बछड़ों के साथ खेल रहे थे, इतना नहीं ब्रह्मा जी ने श्रीकृष्ण को मिट्टी में खेलते देखा। इसके अलावा उन्होंने देखा कि श्रीकृष्ण किस प्रकार से अपने मित्रों के हाथ से खाना खा रहे हैं। ऐसी साधारण स्थिति देखकर ब्रह्मा को यह अहसास हुआ कि श्रीकृष्ण तो भगवान विष्णु के अवतार हो ही नहीं सकते। हांलाकि ब्रह्मा जी यह भी सुन चुके थे कि श्रीकृष्ण ने कैसे अपने हाथों से महाशक्तिशाली राक्षसों का नाश किया। बावजूद इसके ब्रह्मा जी ने श्रीकृष्ण की परीक्षा लेने का विचार किया।

इस प्रकार श्रीकृष्ण जब अपने दोस्तों के संग खेल रहे थे, तभी ब्रह्मा ने चुपके से उनके बछड़ों को उठा लिया और ब्रह्मलोक लेकर चले गए। जब श्रीकृष्ण अपने बछड़ों को ढूंढने गए तब ब्रह्मा जी उनके बाल मित्रों को भी लेकर ब्रह्मलोक चले गए।

कुछ क्षण के पश्चात ब्रह्मा जी दोबारा धरती पर आए, लेकिन पृथ्वीलोक और ब्रह्मलोक के समय में अंतर होने के कारण धरती पर पूरे एक साल बीत चुका था। ऐसें में जब ब्रह्मा जी धरती पर आए तो वे उन बछड़ों और बालकों को देखकर हैरान रह गए, जिन्हें उठाकर वे ब्रह्मलोक ले गए थे। ब्रह्मा जी ने उन बालकों और बछड़ों के साथ श्रीकृष्ण को खेलते हुए देखा। इसके बाद परेशान होकर ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु का ध्यान किया और उनसे आग्रह किया कि उन्हें सत्य से अवगत कराएं। इसके बाद श्रीकृष्ण ब्रह्मा जी के समक्ष अपने विराट स्वरूप में आ गए और कहा कि इस सृष्टि में सब कुछ मुझसे ही उत्पन्न हुआ है।

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