वरुण गांधी बोले- मैं कभी नहीं बनना चाहता हूं यूपी का मुख्यमंत्री, जानिए क्यों?
बता दें कि आज पूरे देश में लोकसभा चुनाव 2019 के लिए दूसरे चरण की वोटिंग जारी है। इसी बीच एनडीए सरकार में केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के पुत्र वरुण गांधी ने बयान दिया है कि यूपी की राजनीति में उनकी कोई रूचि नहीं है। उन्होंने कहा कि वे देश की राजधानी दिल्ली में ही पले-बढ़े हैं और यहीं पढ़ाई की है। इसलिए सूबे की राजनीति में उनका मन नहीं लगता है। इंटरव्यू के दौरान वरुण गांधी ने फिर दोहराया कि राज्य का मुख्यमंत्री बनने की उनकी कोेई इच्छा नहीं है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में मेरी रूचि शुरू से रही है, लेकिन प्रदेश की राजनीति में मेरी कभी रूचि नहीं रही है। राष्ट्रीय राजनीति में एक छोटी सी जगह बनाने के लिए पार्टी ने मुझे जो मौका दिया है, उससे मैं बहुत खुश हूं।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव 2017 के दौरान यूपी के सियासी गलियारे में ये चर्चा हो गई थी कि वरुण गांधी मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। उसके बाद वे सियासी पटल से पूरी तरह गायब हो गए थे। ऐसे में जाहिर है कि इस बार वरुण गांधी अपनी पिछली गलती दोहराना नहीं चाहेंगे, खासकर लोकसभा चुनाव 2019 के इस मौसम में। बता दें कि 2019 के चुनाव में भाजपा ने स्टार प्रचारकों की सूची से भी उन्हें बाहर ही रखा है।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019 में मेनका गांधी और वरुण गांधी के सीटों की अदला-बदली कर दी गई है। जहां एक तरफ वरुण गांधी अपनी मां मेनका गांधी की सीट पीलीभीत से हैं, वहीं दूसरी तरफ मेनका गांधी अपने बेटे वरुण की सीट सुल्तानपुर से चुनाव मैदान में हैं।
दरअसल मेनका गांधी इस बार के चुनाव में वरुण गांधी के लिए सुरक्षित सीट चाह रही थीं, इसलिए वे अपनी सीट मेनका गांधी को देना चाहती थीं और खुद करनाल से चुनाव लड़ना चाहती थीं। आपको याद दिला दें कि पिछले चुनाव में वरुण गांधी ने कई ऐसे विवादित बयान दे दिए थे, जिससे वे अपनी ही पार्टी में हाशिए पर चले गए थे।
लेकिन इस बार के चुनाव में वरुण गांधी शुरू से ही पीएम मोदी की खुलकर तारीफ कर रहे हैं। पीलीभीत से नामांकन दाखिल करने के दौरान उन्होंने कहा कि लंबे अरसे बाद देश को एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला है, जिसके बारे में छाती चौड़ी करके बोल सकते हैं कि हमारे पास ऐसा प्रधानमंत्री है। उन्होंने कहा कि पीएम के लिए देश के सिपाही की तरह मैं उनका झंडा लेकर खड़ा हूं।