लोकसभा चुनाव 2019 : हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी आजकल कहां हैं?
आपको याद दिला दें गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 के दौरान तीन युवा नेताओं हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी ने सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी थीं। इन तीनों नेताओं ने ऐसा मोर्चा खोला था कि बीजेपी को चुनाव में पूरी ताकत झोंकनी पड़ी थी।
गुजरात विधानसभा में 182 सीटें हैं, लेकिन साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 99 सीटें ही मिल पाई थीं। गुजरात में भाजपा को कांग्रेस ने जिस तरह से कड़ी टक्कर दी थी, राजनीतिक विश्लेषकों ने उसका श्रेय जिग्नेश मेवाणी, अल्पेश ठाकोर और हार्दिक पटेल को ही दिया था।
ऐसा माना जा रहा था कि लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान इन तीन युवा नेताओं की जोड़ी बीजेपी के लिए मिशन 26/26 की राह में मुश्किल खड़ी कर सकती है। बता दें कि पाटीदार आंदोलन से उभरे हार्दिक पटेल ने इस बार कांग्रेस का दामन थाम लिया है, बावजूद इसके वह चुनाव नहीं लड़ पा रहे हैं।
उधर, दलित नेता जिग्नेश मेवाणी बिहार के बेगूसराय में सीपीआई उम्मीदवार कन्हैया कुमार के पक्ष में प्रचार में जुटे हैं। वहीं, यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद अल्पेश ठाकोर बीजेपी से क़रीबियां बढ़ा रहे हैं। अब सवाल यह उठता है कि विधान चुनाव 2017 के बाद ये तीनों नेता लोकसभा चुनाव 2019 में गुजरात के अंदर क्या भूमिका निभाने जा रहे है।
हार्दिक पटेल- यूपी और गुजरात में कांग्रेस के स्टार प्रचारक
गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 के दौरान हार्दिक पटेल 25 वर्ष की आयु पूरी न हो पाने के कारण चुनाव नहीं लड़ पाए थे। इस बार भी हार्दिक पटेल मेहसाणा दंगा केस में मिली सज़ा के कारण चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें इसे मामले पर मिली सजा पर रोक लगाने संबंधी याचिका खारिज कर दी। फिलहाल पार्टी ने हार्दिक को गुजरात और उत्तर प्रदेश में स्टार प्रचारक बनाया है।
गुजरात की राजनीति पर नज़र रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार अजय उमट के मुताबिक, कांग्रेस को हार्दिक के आने से थोड़ा फ़ायदा ज़रूर होगा। इसके विपरीत वरिष्ठ पत्रकार राजीव शाह कहते हैं, लगता नहीं है कि उतना प्रभाव होगा। वैसे भी चुनाव में अब बहुत कम समय रह गया है।
जिग्नेश मेवाणी गुजरात में क्यों नहीं?
दलित नेता जिग्नेश मेवाणी इन दिनों बिहार के बेगूसराय से चुनाव लड़ रहे सीपीआई उम्मीदार कन्हैया कुमार के पक्ष में प्रचार में जुटे हैं। गुजरात की वडगाम सीट से निर्दलीय विधायक जिग्नेश को कांग्रेस का समर्थन मिला था, मगर उन्होंने कभी पार्टी की सदस्यता नहीं ली थी।
क्या वजह है कि जिग्नेश गुजरात के बजाय बिहार जाकर प्रचार में जुटे हैं। इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार राजीव शाह का कहना है कि गुजरात में दलित आबादी महज सात प्रतिशत है। अहमदाबाद और कच्छ ही दलित बहुल सीटें हैं। केवल अहमदाबाद में जिग्नेश दलित और मुसलमान वोटों को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन वहां कांग्रेस का उम्मीदवार मज़बूत स्थिति में है। जबकि कच्छ में उनका प्रभाव बिल्कुल नहीं है। दूसरी बात यह है कि जिग्नेश दलित-लेफ़्ट विचारधारा के बीच घूमते हैं, इसीलिए कन्हैया कुमार से जुड़े हैं।
अल्पेश ठाकोर की भूमिका
अल्पेश ठाकोर ने गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस की सदस्यता ली थी और राधनपुर सीट से जीत भी हासिल की थी। लेकिन 10 अप्रैल 2019 को अल्पेश ने दो विधायकों के साथ कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दिया। इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार अजय उमट का कहना है कि अल्पेश ठाकोर महत्वाकांक्षी राजनेता हैं। कांग्रेस से पहले वे बीजेपी के संपर्क में थे। वह भाजपा से 22 विधायकों के लिए टिकट और कैबिनेट में तीन सीटें मांग रहे थे। भाजपा से समझौता नहीं होने की स्थिति में कांग्रेस ने उनके एक दर्जन लोगों को टिकट दिया था। इसके साथ ही अल्पेश को उनकी पसंद की सबसे सुरक्षित सीट राधनपुर से उतारा था। महज कुछ ही महीनों बाद कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके अल्पेश ठाकोर कहते हैं कि बीजेपी में शामिल नहीं होऊंगा। ऐसे में यह देखना होगा कि आगे क्या होता है।