महाभारत में कई शक्तिशाली राजाओं का वर्णन है। इन्हीं शक्तिशाली राजाओं में एक का नाम था जरासंध। जरासंध और श्रीकृष्ण के बीच युद्ध हुआ था। जरासंध मगध का शासक था। जरासंध दूसरे राजाओं को बंदी बनाकर अपने किले में बंदी बना लेता था। महाभारत के अनुसार, श्रीकृष्ण के संकेत पर भीम ने जरासंध के साथ युद्ध किया था और उसे मार दिया था। महाभारत महाकाव्य के मुताबिक, श्रीकृष्ण और बलराम ने भी जरासंध से युद्ध किया था। इस प्रसंग को पढ़कर हम यह सीख सकते हैं जब दुश्मन हमसे ताकतवर हो तो क्या करना चाहिए।

कथा के मुताबिक, श्रीकृष्ण और जरासंध के बीच भयंकर युद्ध चल रहा था। जब जरासंध ने देखा कि श्रीकृष्ण और बलराम युद्ध भूमि से भाग रहे हैं, तब वह हंसने लगा। श्रीकृष्ण और बलराम भागते हुए बहुत ऊंचे प्रवर्शण पर्वत पर चढ़ गए। इस पर्वत पर हमेशा ही मेघ वर्षा किया करते थे।

इसके बाद जब जरासंध ने देखा कि दोनों भाई पहाड़ में छुप गए हैं, तब उसने ईंधन से भरे हुए प्रवर्शण पर्वत के चारो ओर आग लगवा कर उसे जला दिया। जब पर्वत के छोर जलने लगे तब श्रीकृष्ण और बलराम ने बड़े वेग से उसे ऊंचे पर्वत से छलांग लगाई और नीचे धरती पर कूद आए।

जरासन्ध और उसका कोई भी सैनिक उन्हें देख भी नहीं पाया। इसके बाद श्रीकृष्ण और बलराम समुद्र से घिरी हुई अपनी नगरी द्वारकापुरी में चले आए। जरासंध ने ऐसा मान लिया कि श्रीकृष्ण और बलराम तो जल गए। इसके बाद जरासन्ध अपनी विशाल सेना लेकर मगध देश चला गया।

इस युद्ध के माध्यम से श्रीकृष्ण हमें यही सीख देते हैं कि जब दुश्मन आपसे अधिक बलशाली हो तो पहले स्वयं को इतना मजबूत बनाएं कि उससे लड़ सकें। उसके बाद ही दुश्मन को ललकारें। अगर आप उसका सामना करने के लायक नहीं है, तो मैदान छोडऩे में कोई बुराई नहीं है।

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