हिंदू धर्मग्रंथों के मुताबिक, प्रत्येक महीने शुक्ल-पक्ष और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश की पूजा की जाती है। बता दें कि शुक्ल-पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी तथा कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।

बता दें कि चैत्र मास की संकष्टी चतुर्थी 24 मार्च 2019, दिन रविवार को है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के सभी काम बिना किसी बाधा के पूरे हो जाते हैं। बता दें कि चैत्र कृष्ण पक्ष चतुर्थी के दिन विकट नामक श्रीगणेश की पूजा का विधान है।

सुबह उठने के बाद ​दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करें तत्पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद श्री गणेश की पूजा पंचोपचार (धूप, दीप, नैवेद्य, अक्षत, फूल) विधि से करें। हाथ में जल और दूर्वा लेकर मन में श्री गणेश का ध्यान करते हुए मम सर्वकर्मसिद्धये विकटाय पूजनमहं करिष्ये मंत्र का जाप करें।

कलश में सिक्के, दूर्वा साबुत हल्दी रखें। इसके बाद कलश में जल भरकर उसमें थोड़ा गंगा जल मिलाएं। कलश को लाल कपड़े से बांध दें। इसके बाद कलश पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। श्री गणेश जी के मंत्रों से पूरे दिन स्मरण करें। शाम को पुन: स्नान कर शुद्ध हो जाएं और विधि-विधान से गणेश जी का पूजन करें। नैवेद्य के रूप में लड्डू अर्पित करें। चंद्रमा के उदय होने पर चंद्रमा की पूजा कर अर्घ्य अर्पण करें। गणेश चतुर्थी की कथा सुने अथवा श्रद्धालुओं को सुनाएं। इसके बाद उपस्थित लोगों में लड्डू प्रसाद के रूप में बांट दें और शेष अगले दिन ब्राह्मण को दान में दें।

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