भारतीय सेना दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेनाओं में चौथे नंबर पर मौजूद है। भारत अपनी सेना को अत्यधिक ताकतवर बनाने के लिए दुनिया के सर्वश्रेष्ठ और विध्वंसक हथियारों पर अपनी नजर बनाए हुए है। इसके लिए भारतीय रक्षा मंत्रालय विभिन्न देशों की शक्तिशाली सैन्य हथियारों के डील को लेकर बातचीत कर रहा है।

प्रीडेटर ड्रोन

भारतीय रक्षा मंत्रालय और अमेरिका के बीच पायलट रहित प्रीडेटर ड्रोन के डील की बातचीत चल रही है। ये लड़ाकू ड्रोन अमेरिकी कंपनी जनरल एटॉमिक्स तैयार करती है। यह ड्रोन दुश्मनों की न्यूक्लियर मिसाइलों को तबाह करने में पूरी तरह से सक्षम है। फिलहाल भारतीय सेना में ऐसे 22 प्रीडेटर ड्रोन शामिल करने की पूरी उम्मीद है।

रूस एंटी एयरक्रॉफ्ट मिसाइल सिस्टम

भारतीय रक्षा मंत्रालय तकरीबन 30 हजार करोड़ रूपए में 5 रूसी एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने के लिए समझौता कर चुका है। एक एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की कीमत करीब 6 हजार करोड़ रूपए है। यह मिसाइल सिस्टम दागो और भूल जाओ की नीति पर काम करता है। यहां तक कि भारत 36 राफेल लड़ाकू विमान भी खरीदने की फिराक में है।

चिनूक और अपाचे हेलिकॉप्टर

दुनिया ये शानदार हेलिकॉप्टर केवल अमेरिका के पास हैं। भारत 15 चिनूक हेलिकॉप्टर खरीदने की बातचीत अमेरिका से कर चुका है। इसमें करीब 20,460 करोड़ रुपए की लागत आएगी। जबकि एक अपाचे हेलिकॉप्टर की कीमत 420 करोड़ है। यह चिनूक हेलिकॉप्टर युद्ध के दौरान करीब 9.6 टन वजन उठाकर उड़ान भर सकता है।

स्टिंगर एयर टू एयर मिसाइल

इस अमेरिकी मिसाइल की मारक क्षमता आठ किलोमीटर है। इस हैलिकॉप्टर में इस्तेमाल कर दुश्मनों का सफाया किया जा सकता है। ऐसी करीब 245 मिसाइल खरीदने के लिए भारत अपने मित्र देश अमेरिका से बातचीत कर रहा है।

एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल

भारत काफी पहले से इजरायल से हथियारों का आयात करता रहा है। इसी क्रम में भारत 500 मिलियन डॉलर में 321 लॉन्चर्स और 8,356 फायर एंड फॉरगेट मिसाइले से खरीदने के लिए इजरायल से वार्ता कर रहा है।

माइनस्वीपर्स

भारतीय नौसेना में जल्द ही दक्षिण कोरिया की माइनस्वीपर्स को दिया जाएगा। इसके लिए भारत करीब 5.1 बिलियन डॉलर की डील करने वाला है। करीब 12 माइनस्वीपर्स का निर्माण मेक इन इंडिया के तहत गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में तैयार किए जाएंगे।

एमआरएसएएम

इजरायल का यह सबसे खतरनाक सर्फेस टू एयर मिसाइल सिस्टम है। इसके लिए भारत 2 बिलियन डॉलर में इजरायल से एमआरएसएएम खरीदेगा। इस सिस्टम के जरिए सीमा पर तैनात भारतीय सेना करीब 70 किमी की दूरी पर मौजूद टार्गेट को आसानी से बर्बाद कर देगी।

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