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पाकिस्तान केवल धर्म के आधार पर भारत से अलग होने का निर्णय कर चुका था। इसी क्रम में इन दोनों देशों के बीच बंटवारो के तौर तरीके भी तय हो रहे थे। बता दें कि 3 अगस्त 1947 को रविवार के दिन लाहौर से प्रकाशित अखबार ईस्टर्न एक्सप्रेस ने सिंध के सूखे को बड़ी खबर बनाई थी, जबकि नई दिल्ली से छपने वाले अखबार द हिंदुस्तान टाइम्स वीकली ने रॉयल इंडियन एयरफ़ोर्स को धार्मिक आधार पर बांटने की खबर को बॉक्स आइटम में तरजीह दी थी। शीर्षक था- रॉयल इंडियन एयरफोर्स का बंटवारा।

द हिंदुस्तान टाइम्स वीकली के मुताबिक, रॉयल इंडियन एयरफोर्स की 10 स्क्वैड्रन में से 8 भारत के हिस्से में तथा 2 स्क्वैड्रन पाकिस्तान के हिस्से में गए। वायुसेना का यह बंटवारा हिंदू और मुस्लिम कर्मचारियों की संख्या के आधार पर किया गया। कांग्रेस महासचिव शंकरराव देव ने एक बयान जारी कर कहा कि केवल कांग्रेस ही देश को एक सूत्र में पिरो कर रख सकती है।

आपको जानकारी के लिए बता दें कि भारत में जो अंतरिम सरकार बनी, उसमें डॉक्टर श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने रक्षा मंत्री बनने का प्रस्ताव स्वीकार किया। उन्होंने यह निर्णय विनायक दामोदर सावरकर से सलाह लेने के बाद किया।

बंटवारे के वक्त लंदन में इस बात की चर्चा हुई कि ब्रिटेन भारत को उसका हक चुकाए या नहीं। ऑक्सफ़र्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर आरएफ़ हैरोड ने कहा कि ब्रिटेन युद्ध से पूरी तरह टूट चुका है। इस वक्त वह अपनी अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए संघर्ष कर रहा है, इसलिए भारत को उसका पैसा चुकाने के बारे में सोच भी नहीं सकता।

बंटवारे के बाद कराची में पाकिस्तान सचिवालय के लिए नई दिल्ली से अधिकारियों की रवानगी जारी हो गई। निजाम ने रेडियो प्रसारण में कहा कि हैदराबाद भारत संघ में शामिल नहीं होगा, तथा वो आजाद रहते हुए भारत और पाकिस्तान दोनों से संबंध रखना चाहता है।

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