जानकारी के लिए बता दें कि बटेश्वर मंदिर उत्तर प्रदेश के आगरा से से 70 किमी की दूरी पर यमुना के उत्तरी तट पर स्थित है। बटेश्वर मंदिर हमारे देश के महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्रों में से एक है।

बरसात के दौरान बाढ़ आने पर यह पूरा इलाका टापू में तब्दील हो जाता है। मानो, यमुना नदी प्रकृति पुत्र बटेश्वर को आलिंगनबद्ध कर रही हो। हालांकि इससे मंदिरों के घाटों को नुकसान पहुंच रहा है, और देख-रेख व सरकारी चिंता के अभाव में ये मंदिर श्रृखंला अपनी पहचान खोते जा रहे हैं। कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को प्रत्येक वर्ष यहां विशाल मेला लगता है, जिसका मुख्य आकर्षण पशु मेला भी है।

बटेश्वर मंदिर की मान्यता दूर-दूर तक है। श्रद्धालुजन यहां घंटा चढ़ाकर मनौती मानते हैं। इस मंदिर में 50 ग्राम से लेकर पांच क्विंटल तक के घंटे चढ़ाये जा चुके हैं, जो ज्यादातर आगरा के ही एटा से लगते जलेसर क्षेत्र में बनाए जाते हैं। इस मंदिर चंबल के चर्चित डाकू मानसिंह का चढ़ाया घंटा भी मौजूद है। यहां से 20 किमी. दूरी तय कर चंबल सफारी का आनंद लिया जा सकता है। यहीं राजमाता का भव्य मंदिर भी है।

गौरतलब है कि बटेश्वर में प्रतिदिन डेढ़-दो हजार तीर्थयात्री आते हैं, जिनमें आधे से अधिक मध्यप्रदेश, राजस्थान और दिल्ली से आते हैं, लेकिन इनके ठहरने और भोजन की उचित व्यवस्था नहीं है।

बता दें कि रात्रि विश्राम के लिए कुछ धर्मशालाएं और गेस्ट हाउस मौजूद हैं। यह पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो तो पूरे क्षेत्र का भाग्य बदल सकता है। यह क्षेत्र आगरा जिले की सबसे पिछड़ी तहसील बाह में आता है। इसके एक सिरे पर चंबल नदी बहती है, तो दूसरे पर यमुना।

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