मुस्लिम धर्म का सबसे पवित्र महीना रमजान मंगलवार से शुरू हो चुका है। 6 मई की शाम को रमजान का चांद दिख जाने के बाद माह-ए-रमजान की शुरुआत हो गई है और पहला रोजा 7 मई को है। कुरआन शरीफ में अल्लाह फरमाता है, हमने तुम पर रोजे फर्ज किए जैसे तुमसे पहली उम्मतों पर फर्ज किए थे।

बता दें कि रमजान के पवित्र महीने में जकात और फितरा अल्लाह की राह में खर्च करने का सबसे अहम व आसान रास्ता माना गया है। रमजान में ढाई फीसदी जकात देकर मुसलमान अपनी जान-माल की हिफाजत कर सकता है। जकात के रूप में मिस्कीनों को देना हर साहिबे निसाब मुसलमान पर फर्ज है। आइए जानें जकात किन-किन लोगों को देना वाजिब है।

1- फक़ीर 2- मिस्कीन 3- कर्ज़दार 4- मुसाफिर 5- आमिल 6- मुकातिब 7- फी सबीलिल्लाह

फक़ीर- वह शख्स है जिसके पास पास कुछ माल है, मगर निसाब से कम है।

मिस्कीन- वह शख्स है, जिसके पास कुछ न हो, न खाने को ग़ल्ला और न ही पहनने को कपड़े।

क़र्ज़दार- वह शख्स है, जिसके जिम्मे कर्ज़ हो।

मुसाफ़िर- वह शख्स है, जिसके पास सफर की हाल में माल न रहा, उसे ज़कात देना जायज है।

आमिल- वह शख्स है, जिसको बादशाह इस्लाम ज़कात व उश्र वसूल करने के लिए मुक़र्रर किया हो।

मुकातिब- वह गुलाम है, जो अपने मालिक को माल देकर आज़ाद होना चाहे।

फ़ी सबीलिल्लाह- यानी राहे खुदा में खर्च करना।

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