शरीर में धंसे थे मोर्टार के छर्रे फिर भी लड़ता रहा यह 22 वर्षीय भारतीय सैन्य अधिकारी
इंटरनेट डेस्क। यह सच है कि जब भारतीय सैनिक जगते हैं तब पूरा देश चैन की नींद सोता है। सीमा पर तैनात ये प्रहरी अपनी जान देकर भी भारत माता की रक्षा करते हैं। यह कुछ भी नहीं कहा जा सकता है कि देश का कौन सा जवान कब शहीद हो जाएगा, क्योंकि सीमापार से पाकिस्तानी सेना आए दिन सीजफायर का उल्लंघन करती रहती है।
बात 4 फरवरी 2018 की है जब पाकिस्तान ने रविवार के दिन राजौरी में सीमा पार से फायरिंग की थी। इस दौरान पाकिस्तानी सेना ने ऑटोमैटिक हथियारों, मोर्टार और एंटी गाइडेड मिसाइल से गोलीबारी की थी। इस फायरिंग में 4 जवान शहीद हुए थे। जिनका नाम क्रमश: कैप्टन कुंडू, राइफलमैन शुभम कुमार, राइफलमैन रामअवतार और हवलदार रोशन लाल है।
जम्मू-कश्मीर स्थित मेडिकल आर्मी हॉस्पिटल के मेडिकल रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि इन जवानों के शरीर में जगह-जगह मोर्टार के छर्रे धंसे हुए थे। यहां तक कि निचला हिस्सा और दोनों पैरों की हड्डियां टूट चुकी थी।
सीमा पार फायरिंग में शहीद कैप्टन कुंडू की उम्र मात्र 22 साल थी। जबकि ठीक 6 दिन बाद यानि 10 फरवरी 2018 को उनका 23वां जन्मदिन था। कैप्टन कूंड ने शहीद होने से पहले अपनी फेसबुक बॉलीवुड मूवी आनंद का एक मशहूर डॉयलॉग लिखा था- जिंदगी लंबी नहीं, बड़ी होनी चाहिए।
बताते हैं कि शरीर के पूरे हिस्से में छर्रे धंसे होने तथा दोनों पैरों की हड्डियां टूट जाने के बावजूद भी कैप्टन कुंडू सहित उनके तीनों साथियों ने पाक सेना के कई बंकर तबाह कर दिए थे।
22 वर्षीय कुंडू अपना 23वां बसंत भी नहीं देख पाए, जबकि वह देश की रक्षा में शहीद हो गए। उनके पिता की मौत पहले ही हो चुकी थी, दो बहनों की शादी भी हो चुकी है। अब शहीद कैप्टन कुंडू की मां अकेली हो चुकी हैं। लेकिन उन्हें अपने इस सपूत की वीरता पर नाज है।