केदारनाथ धाम हिमालय की गोद में बसा भोलेनाथ का धाम है। 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल होने के साथ ये हिन्दू धर्मों के 4 धामों 5 केदार में से एक है। यहाँ का स्वयम्भू शिवलिंग बहुत ही पुराना है। जो भी केदारनाथ आता है उसे पापों से मुक्ति मिलती है।

केदारनाथ मंदिर 3593 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ है। ये मंदिर कैसे बना ये अभी भी एक चमत्कार ही है। माना जाता है कि मंदिर की स्थापना आदिगुरु शंकराचार्य ने की। यहाँ जो ज्योतिर्लिंग है, के केदार श्रृंग पर भगवान विष्णु के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे।

उनकी आराधना खुश होकर एक दिन भगवान शिव वहां प्रकट हुएऔर ज्योतिर्लिंग के रूप में हमेशा के लिए वहीं वास करने का वरदान दिया। महाभारत युद्ध में जीत प्राप्त करने के बाद पांडव भ्रातृहत्या के पाप से मुक्ति चाहते थे। लेकिन भगवान शिव उनसे रूठे हुए थे।

तब उन्होंने खोजते खोजते पांडव हिमालय आ पहुंचे। भगवान शिव पांडवों से बहुत अधिक रूठे हुए थे इसलिए वहां से अंतरध्यान होकर शिव जी केदार में जा बसे। तब पांडव भी केदार पहुंच गए। तब भोलेनाथ ने पशु का रूप लिया और अन्य पशुओं में जा मिले। पांडवों को संदेह हो गया तो भीम ने विशाल रूप धारण कर दो पहाड़ों पर पैर फैला दिया।

तब सभी पशु उनके पैरों के नीचे से निकल गए लेकिन भगवान शिव वहां से जाने को तैयार नहीं हुए। भीम ने बैल की पीठ का भाग पकड़ लिया। भगवान शिव, पांडवों की भक्ति देखकर प्रसन्न हो गए। उन्होंने दर्शन देकर पांडवों को पाप मुक्त कर दिया। तब से आज भी बैल के पीठ की आकृति को केदारनाथ में पूजा जाता है। पशुपतिनाथ मंदिर में बैल के अगले और केदारनाथ में पिछले हिस्से की पूजा की जाती है।

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