आपको जानकारी के लिए बता दें कि भविष्य में युद्ध का स्वरूप पूरी तरह बदलने वाला है। इसलिए दुनिया के अधिकांश शक्तिशाली देश जैसे चीन, रूस, अमेरिका और जापान समेत अन्य देश आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर पहले से ही जमकर निवेश कर रहे हैं। इतना ही नहीं अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और यूरोपीय संघ भी आर्टिफिशल इंटेलिजेंस में काफी निवेश कर रहे हैं।

आपको बता दें कि आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस कुशल मशीनों के निर्माण से जुड़े कंप्यूटर विज्ञान का क्षेत्र है। बतौर उदाहरण अफगानिस्तान और उत्तरपश्चिमी पाकिस्तान में अमेरिका मानव रहित ड्रोन के सहारे आतंकियों के गुप्त ठिकानों को निशाना बनाता रहा है। अमेरिका मानवरहित ड्रोन आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की मदद से काम करते हैं। ठीक इसी परियोजना के आधार इंडियन मिलिट्री भी थल सेना, वायु सेना और नौसेना को भविष्य की जंग के लिहाज से तैयार करने की तैयारी में जुट गई है।

इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा तथा रक्षा क्षेत्र में एआई के इस्तेमाल को लेकर अध्ययन करने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन कर चुकी है। इस टास्क फोर्स ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम करना शुरू कर दिया है।

सेना को रसद और आपूर्ति प्रबंधन, साइबर ऑपरेशन, खुफिया जानकारी जुटाना, डाटा विश्लेषण तथा हथियारों का स्वायत्त सिस्टम मुहैया कराने में एआई का इस्तेमाल किया जा सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को मजबूत बनाने के लिए एक प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली दी गई है, जिसके लिए 73.3 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। वहीं एनर्जी हार्वेस्टिंग बेस्ड इंफ्रारेड सेंसर नेटवर्क फॉर ऑटोमेटेड ह्यूमन इंस्टुजन डिटेक्शन प्रोजेक्ट के लिए एक करोड़ 80 लाख रुपए आवंटित किए गए हैं।

रक्षा जानकारों का मानना है कि इससे भारतीय सेना की ताकत में कई गुना इजाफा होगा। अब इंडियन आर्मी रहित टैंक, पोत, हवाई यान और रोबोटिक हथियारों के इस्तेमाल से अपने सैन्य अभियान को अंजाम देगी।

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