आपको जानकारी के लिए बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019 के लिए पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को है। मतदान से तीन दिन पहले यानि 7 अप्रैल को यूपी में गठबंधन ने संयुक्त रैली की। इस रैली में सपा-बसपा और आरएलडी के नेताओं ने सहारनपुर के देवबंद से कांग्रेस तथा भाजपा पर हमला बोला। बीएसपी चीफ मायावती ने यूपी के मुसलमानों से कहा कि कांग्रेस को वोट देकर अपना कीमती वोट बर्बाद न होने दें।

मायावती ने कहा-इस चुनाव में मैं मुस्लिम समाज के लोगों को सावधान करना चाहती हूं। बसपा प्रमुख ने कहा कि आप लोगों को मालूम है कि यूपी में कांग्रेस पार्टी इस लायक नहीं है कि बीजेपी को टक्कर दे सके। केवल गठबंधन ही इस लायक है कि वो भाजपा टक्कर दे सके। कांग्रेस ने ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया है, जिससे बीजेपी को फायदा पहुंचे। मैं मुस्लिम समाज के लोगों से कहना चाहती हूं सहारनपुर सीट पर हमने बहुत पहले ही अपने प्रत्याशी को टिकट फाइनल कर दिया था, जबकि कांग्रेस ने बाद में किया।

मायावती इतने पर ही नहीं रूकीं, बल्कि उन्होंने कहा कि आप लोगों को अपना वोट बांटना नहीं है। आप लोगों को एकजुट होकर बसपा-सपा और आरएलडी उम्मीदवार को वोट देना है। मै मुस्लिम समाज के लोगों से कहना चाहती हूं कि आप लोग भावनाओं में बहकर या दोस्ती के चक्कर में अपना वोट बंटने नहीं दें। भाजपा को हराने के लिए अपना वोट गठबंधन उम्मीदवार को ही देना। मैं मुस्लिम समाज के लोगों से यह अपील करती हूं।

मुसलमानों से वोट मांग कर घिरी मायावती

गठबंधन की पहली रैली ही विवादों के घेरे में आ चुकी है। मायावती द्वारा मुसलमानों से वोट मांगने को लेकर यूपी के मुख्य चुनाव आयुक्त लक्कु वेंकटेश्वरलू ने स्थानीय प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है। अभी कुछ दिन पहले ही चुनाव आयोग ने कहा था कि कोई भी उम्मीदवार या नेता ​जाति-धर्म अथवा आस्था के नाम पर न ही वोट मांगेंगा और न ही समर्थन। चुनाव आयोग ने कहा था कि ऐसा करना आचार संहिता का उल्लंघन होगा। ऐसा करने वाले संबंधित नेता के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

पश्चिमी यूपी की इन लोकसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता ज्यादा प्रभावी

बता दें कि पश्चिमी यूपी के कई लोकसभा सीटों पर मुसलमान मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। इसीलिए गठबंधन ने कई मुस्लिम प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा है। जानकारी के लिए बता दें कि कैराना सीट पर 26 फीसदी, बागपत सीट पर 20 फीसदी, मेरठ सीट पर 31 फीसदी, मुजफ्फरनगर सीट पर 31 फीसदी, सहारनपुर सीट पर 38 फीसदी, गाजियाबाद सीट पर 19 फीसदी तथा बिजनौर सीट पर 38 फीसदी मुसलमान हैं। जबकि गौतमबुद्धनगर सीट पर 14 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं।

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