हिंदू धर्मशास्त्रों के मुताबिक, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए महाशिवरात्रि का दिन सबसे शुभ माना जाता है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शंकर ने माता पार्वती के साथ विवाह किया था, इसलिए इस दिन को लोग बहुत खास मानते हैं। वैवाहिक जीवन सुखमय बने, मनोकामना पूरी हो अथवा कुंआरी कन्याओं को सुयोग्य वर मिले इसलिए महाशिवरात्रि के दिन लोग भोलेनाथ पर जलाभिषेक कर उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। अगर आप अपने जीवन को सुखमय बनाना चाहते हैं तो भगवान शिव से यह 4 बातें जरूर सीखें।

1- पति-पत्नी को समान अधिकार

भगवान शिव को अर्धनारीश्वर भी कहा जाता है। शिव ही एक मात्र ऐसे देवता है, जिन्होंने सबसे पहले अपनी पत्नी को अर्धांगिनी का दर्जा दिया। आप भगवान शिव की ऐसी अनेक तस्वीरें देख सकते हैं, जिसमें उनका आधा शरीर पुरुष का और आधा शरीर स्त्री का होता है। अगर जीवन को सुखी बनाना चाहते हैं तो स्त्री को बराबरी का दर्जा दीजिए। पति-पत्नी के बीच ज्यादातर तनातनी आपसी वर्चस्व को लेकर ही होती है।

2- गृहस्थ जीवन के प्यार और समर्पण सबसे पहले

भगवान शिव और माता पार्वती दुनिया के उन सभी लोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है, जो शादी के समय बैंक बैलेंस और खूबसूरती को अहमियत देते हैं। माता पार्वती ने गले में सर्पधारी और शरीर में भस्म लगाने वाले शिव को पसंद किया। सच है कि सुखी जीवन के लिए प्यार और समर्पण जरूरी है। पैसा और खूबसूरती तो मन बहलाने की चीजें हैं।

3- जीवनसाथी के प्रति ईमानदार

दुनिया की हर लड़की चाहती है कि उसका होने वाला पति​ भोलेनाथ की तरह सीधा साधा और खूब प्यार करने वाला मिले। भगवान शिव अपनी पत्नी सती से कितना प्यार करते थे, वो बात इसी से पता चलता है कि देवी सती अपने पति भगवनान शिव के अपमान से दुखी होकर अपना जीवन होम कर दिया था। इसके बाद महादेव ने रौद्र रूप धारण करके सृष्टि का विनाश करना शुरू कर दिया था।

4- सर्वश्रेष्ठ मुखिया

भगवान शिव के परिवार में सभी के विचार अलग-अलग होने के बावजूद इनके बीच प्यार की मिसाल दी जाती है। भगवान शिव के गले का सर्प और उनके पुत्र गणेश की सवारी चूहे का शत्रु माना जाता है, लेकिन इनमें कभी बैर नहीं देखा गया। उसी तरह से भगवान शिव का वाहन बैल और देवी पार्वती का सवारी शेर दोनों एक दूसरे के शत्रु के माने जाते हैं, फिर दोनों साथ मिलकर रहते हैं।

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