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सुंदरकाण्ड मूलतः वाल्मीकि कृत रामायण का एक सोपान है। गोस्वामी तुलसीदास कृत श्रीरामचरितमानस ने भी सुन्दरकाण्ड नामक अध्याय है। बता दें कि सुन्दरकाण्ड के नायक श्री हनुमान जी हैं। सुंदरकाण्ड में हनुमान जी का लंका की ओर प्रस्थान, विभीषण से भेंट, सीता से भेंट करके उन्हें श्री राम की मुद्रिका देना, अक्षय कुमार का वध, लंका दहन और लंका से वापसी तक मुख्य घटनाक्रम का वर्णन है। रामायण में सुन्दरकाण्ड के पाठ का विशेष महत्व माना गया है। अब सवाल यह उठता है कि रामायण के इस सोपान का नाम सुन्दरकाण्ड क्यों रखा गया?

वाल्मीकि रामायण के मुताबिक, हनुमानजी देवी सीताजी की खोज में लंका गए थे। त्रिकुटांचल पर्वत पर बसी हुई थी लंका। त्रिकुटांचल पर्वत यानि लंका में तीन पर्वत थे। पहला सुबैल पर्वत- जहां के मैदान में श्रीराम और रावण की सेना के मध्य युद्ध हुआ था। दूसरा नील पर्वत- जहां रावण तथा अन्य राक्षसों के महल बने हुए थे। तीसरे पर्वत का नाम थ- सुंदर पर्वत। सुंदर पर्वत पर अशोक वाटिका निर्मित थी। इसी वाटिका में हनुमानजी और देवी सीता की भेंट हुई थी। इसलिए रामायण के इस काण्ड का नाम सुन्दरकाण्ड रखा गया।

गौरतलब है कि सुन्दरकाण्ड एकमात्र ऐसा अध्याय है, जिसमें श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय गाथाओं का वर्णन है। हिंदू धर्मग्रंथों के मुताबिक, सुंदरकांड का पाठ सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है। हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि सुंदरकांड के पाठ से जातकों के संकट दूर हो जाते हैं।

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