जालियांवाला बाग़ हत्याकांड को पूरे हुए 100 साल, ब्रिटेन को आई शर्म लेकिन माफी नहीं मांगी
इंटरनेट डेस्क: हर वर्ष बैसाखी का त्योहार वैसे तो पूरे भारत में उमंग, हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है इस दिन ही सिख गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी, और आनंदपुर साहब के गुरुद्वारे में पांच प्यारों से वैशाखी पर्व पर ही बलिदान के लिए आह्वान किया गया था। सिख धर्म में बैसाखी को बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार माना गया है। विशेषकर पंजाब और हरियाणा के किसान सर्दियों की रबी की फसल काट लेने के बाद नव वर्ष की खुशियां मनाते हैं। आपकों जानकारी के लिए बतादें की इसी दिन, 13 अप्रैल 1699 को दसवें और आखिरी गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना भी की थी। ऐसे में ये त्योहार पंजाब सहित करीबी राज्यों के लिए सबसे बड़ा त्योहार है और सिख इसे सामूहिक जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं।
लेकिन 13 अप्रैल 1919 की ये घटना ब्रितानी इतिहास का वो काला दिन था जो भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया कभी नहीं भूला पाएगी स्वर्ण मंदिर के पास रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक जनसभा का अयोजन किया जा रहा था, जिसमें जनरल डायर नामक एक अंग्रेज अफसर जिसने बिना कुछ सोचे सभा में मौजूद भीड़ पर गोलियां बरसाना शुरू करवा दी थी। जानकार सूत्रों की माने तो अंग्रेजों ने हजारों निहत्थे भारतीयों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई थी। इस नृशंस घटना में ब्रिटिश सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार, 379 लोग मारे जाने की खबर सामने आई थी, जबकि 1200 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। लेकिन अगर देखा जाए तो इस दौरान कई सैकड़ो लोग शहीद हो गए थे
आज के दिन इस घटना को 100 साल पूरे होने जा रहे हैं, किन्तु आज भी फिरंगियों के इस वहशीपन के प्रति लोगों के मन में उतना ही पीड़ा और आक्रोश देखा जाता है। आपकों बतादें की 13 अप्रैल, 1919 की ये घटना ब्रितानी इतिहास का वो काला दिन हैए जिसे अंग्रेज चाहकर भी नहीं मिटा सकते। हालांकि कुछ दिनों पहले ही ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने इस घटना पर अफसोस जतााया है और इसे शर्मनाक करार दिया है। किन्तु उस भीषण नरसंहार में जितने लोग शहीद हुए थे और उनकी शहादत के बाद उनके परिजनों को जो जख्म पहुंचे थे, वो इस घटना को शर्मनाक करार देने से नहीं भर सकते है। खबरों की माने तो जालियांवाला बाग़ नरसंहार के लिए संसद में अफ़सोस जताया है, मे ने बुधवार को संसद में कहा कि पंजाब के अमृतसर में हुआ जालियांवाला नरसंहार ब्रिटेन के इतिहास में एक शर्मनाक दाग़ की तरह हैमे ने अपने एक बयान में कहा-उस वक्त जो कुछ भी हुआ और त्रासदी की वजह बनाए हमें उसका बहुत पछतावा है, लेकिन मुझे ये ऐलान करते हुए ख़ुशी है कि आज भारत और ब्रिटेन के रिश्ते आपसी सहयोग, सुरक्षा, समृद्धि और दोस्ती पर आधारित हैं