किन्नर समाज के बारे में अक्सर लोगों की जिज्ञासा बनी रहती है। कि क्या इनका भी होता है विवाह? इनके देवी-देवता कौन होते हैं? ऐसे कई सवाल हैं जो अक्सर किसी किन्नर को देखते ही हमारे मन में कौंधने लगते हैं। इन्ही सवालों के जवाब हम आपको बताने जा रहे हैं।

किन्नरों समुदाय में भी गुरु-शिष्य की परंपरा का निर्वहन पूरी तरह होता है। किन्नरों की मृत्यु के बाद उनकी शव यात्रा रात में निकाली जाती है। क्योकिं वे नहीं चाहते हैं कि उनकी अंतिम यात्रा कोई देखे इस से अगले जन्म में भी उसे किन्नर बनना पड़ता है।

आम लोगों की तरह किन्नर समाज भी वैवाहिक बंधनों में बंधते हैं। किन्नर अपने अराध्य देव अरावन से विवाह करते हैं,लेकिन इनका विवाह मात्र एक दिन के लिए होता है। लेकिन अगले दिन ये विधवा हो जाते हैं।

शास्त्रों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किन्नरों का अपमान करता है या उनका मजाक उड़ाता है तो उसे अगले जन्म में किन्नर बनना पड़ता है और ऐसा ही अपमान सहना पड़ता है। इसके अलावा कभी किन्नरों की बद्दुआ भी नहीं लेनी चाहिए क्योकिं इस से जीवन में हानि होती है।

किन्नरों को स्टील का बर्तन, पुराने कपड़े, तेल और प्लास्टिक से बनी वस्तुएं दान में न दें। इस से आपको दुर्भाग्य का सामना करना पड़ेगा।

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